
मुंबई। बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे के माता-पिता ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा कि वे अब उनके बेटे की मौत से जुड़े मामले को आगे नहीं लड़ना चाहते हैं। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ के समक्ष शिंदे के पिता अन्ना शिंदे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने उनके बेटे को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला। हालांकि, कार्यवाही के अंत में दंपति ने अदालत से अपील की कि वे इस मामले को आगे बढ़ाने के इच्छुक नहीं हैं और इसे बंद करना चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन पर किसी का कोई दबाव नहीं है और यह निर्णय उन्होंने स्वेच्छा से लिया है। अक्षय शिंदे (24) पर पिछले साल ठाणे जिले के बदलापुर में एक स्कूल के शौचालय में दो नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। वह स्कूल में अटेंडेंट के रूप में कार्यरत था। पूछताछ के लिए नवी मुंबई की तलोजा जेल से ठाणे ले जाते समय पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई थी। पिछले महीने अदालत में पेश की गई मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में पांच पुलिसकर्मियों- वरिष्ठ निरीक्षक संजय शिंदे (ठाणे अपराध शाखा), सहायक निरीक्षक नीलेश मोरे, हेड कांस्टेबल अभिजीत मोरे, हरीश तावड़े और पुलिस वैन चालक सतीश खताल को शिंदे की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट अशोक शेंगडे ने कहा कि साक्ष्यों और अन्य परिस्थितियों के कारण पुलिस कर्मियों द्वारा आत्मरक्षा का दावा संदेहास्पद लगता है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने अदालत से कथित मुठभेड़ की जांच के लिए मजिस्ट्रेट द्वारा एकत्र की गई सामग्री तक पहुंच प्रदान करने का अनुरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि यह सामग्री पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है, क्योंकि मजिस्ट्रेट ने गवाहों के बयान अलग से दर्ज किए हैं। देसाई ने यह भी कहा कि पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है और उन्हें उपलब्ध सामग्री का विश्लेषण करने की आवश्यकता है। इस मामले पर आज यानी शुक्रवार को आगे की सुनवाई होगी।