
मुंबई। अंधेरी स्थित बिल्डर चंद्रकांत भुनु (55) से जुड़े एक नाटकीय ‘अपहरण’ का मामला एक चतुराई से रची गई गलतफहमी का निकला, जिसने स्थानीय पुलिस और निवासियों को देर रात उथल-पुथल में डाल दिया। जो शुरुआत में अपहरण प्रतीत हुआ, बाद में खुलासा हुआ कि बिल्डर को शराब की लत के इलाज के लिए पुनर्वास केंद्र ले जाया गया था। पुलिस के अनुसार, यह घटना रविवार (5 अक्टूबर) की रात करीब 12:30 बजे की है, जब चार अज्ञात व्यक्ति भुनु के अंधेरी के फोर बंगलोज स्थित आवास पर पहुंचे और दावा किया कि “साहब ने उन्हें बुलाया है।” जब भुनु ने पूछा कि वे उन्हें कहां ले जा रहे हैं, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। कुछ ही देर में उन्होंने भुनु को जबरन एक सफेद कार में बैठाया और वहां से निकल गए। उनकी पत्नी, अफसाना अरब (36), जो उनके साथ और तीन बच्चों के साथ रहती हैं, घबरा गईं और वर्सोवा पुलिस स्टेशन पहुंचकर अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। उनके बयान के आधार पर वर्सोवा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 140(3) के तहत चार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। भुनु और उनकी पहली शादी से हुए बेटे वैभव के बीच चल रहे संपत्ति विवाद को देखते हुए पुलिस ने शुरुआत में अपहरण के पीछे पारिवारिक कलह की आशंका जताई। लेकिन जांच ने अप्रत्याशित मोड़ लिया- तकनीकी निगरानी के जरिए पुलिस ने पता लगाया कि भुनु किसी अपहरणकर्ता के साथ नहीं बल्कि वसई के एक पुनर्वास केंद्र में सुरक्षित हैं। आगे की पूछताछ में सामने आया कि भुनु लंबे समय से शराब की लत से पीड़ित थे और इलाज से इनकार कर रहे थे। उनकी पहली पत्नी ने उनकी हालत को देखते हुए उन्हें गुपचुप तरीके से पुनर्वास केंद्र भेजवाने की व्यवस्था की थी। वर्सोवा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, यह एक गलतफहमी का मामला था। जिन्हें अपहरणकर्ता समझा गया, वे दरअसल पुनर्वास केंद्र के कर्मचारी थे जो अपना काम कर रहे थे। इस खुलासे के साथ, जो मामला एक हाई-प्रोफाइल अपहरण के रूप में शुरू हुआ था, वह राहत और विडंबना के साथ समाप्त हुआ। क्योंकि देर रात की यह अफरातफरी दरअसल एक “बचाव अभियान” थी जो भुनु की भलाई के लिए की गई थी।