Saturday, November 1, 2025
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80 वर्षीय सीनियर सिटीजन के घर पर जबरन कब्ज़े की कोशिश, बिल्डर और कॉन्ट्रैक्टर के खिलाफ मामला दर्ज

पुणे। एक चौंकाने वाले मामले में 80 वर्षीय सीनियर सिटीजन के घर पर जबरन कब्ज़ा करने की कोशिश की गई। पीड़ित गुलटेकड़ी की टीएमवी कॉलोनी का रहने वाला है, और यह घटना शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025 को हुई। आरोप है कि पुलिस ने भी इस सीनियर सिटीजन से प्रॉपर्टी छीनने की कोशिश में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की, और शिकायतकर्ता के परिवार के कुछ सदस्यों को पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया। स्वारगेट पुलिस स्टेशन में बिल्डर देवेश जैन, कॉन्ट्रैक्टर संजय केंजले, जयेश फुलपगर और एक जेसीबी ड्राइवर के खिलाफ प्रॉपर्टी पर अवैध कब्ज़ा करने की कोशिश, तोड़फोड़ और धमकाने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार, यह घटना गुलटेकड़ी के टीएमवी कॉलोनी क्षेत्र में हुई, जहां शिकायतकर्ता का दो मंजिला बंगला स्थित है। शिकायतकर्ता का बिल्डर देवेश जैन (निवासी मार्केट यार्ड) के साथ पहले से ज़मीन के सौदे को लेकर समझौता हुआ था, लेकिन उन्होंने घर खाली करने के लिए कुछ दिनों की मोहलत मांगी थी। इसी बीच, बिल्डर ने बिना कोर्ट की अनुमति के कॉन्ट्रैक्टर संजय लक्ष्मण केंजले (निवासी दांडेकर पूल) को एक जेसीबी भेजी, और जेसीबी ड्राइवर व जयेश फुलपगर की मदद से बंगले के कंपाउंड को तोड़ने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान, जब शिकायतकर्ता और उनका परिवार पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन में मौजूद था, तब बिल्डर के करीब 15 से 20 लोग मौके पर पहुंचे और तोड़फोड़ शुरू कर दी। अचानक हुई इस कार्रवाई से इलाके में हड़कंप मच गया। मामला दर्ज होने के बाद, बिल्डर ने तोड़े गए कंपाउंड को फिर से बनाने का काम शुरू कर दिया था। इस घटना की जांच पुलिस सब-इंस्पेक्टर स्मिता पाटिल कर रही हैं। इसके साथ ही, पुणे पुलिस विभाग में जमीन हड़पने के मामलों में पुलिस की संभावित संलिप्तता पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में एक सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर पर वाघोली में करोड़ों रुपये की जमीन पर अवैध कब्ज़ा करने के दो नए मामले दर्ज किए गए हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उक्त इंस्पेक्टर ने वडगांवशेरी की जमीन से उन्हें बेदखल करने में अहम भूमिका निभाई और शिकायत दर्ज होने के बावजूद जानबूझकर कार्रवाई में देरी की। कोंढवा में हुई एक अन्य घटना में भी पुलिसकर्मियों की मिलीभगत सामने आई थी, जिसके कारण कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया था। लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों से भूमि विवादों में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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