
ठाणे। मानपाड़ा में एक जोनल डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) को घर छोड़ने गए ड्यूटी पर तैनात पुलिस कांस्टेबल पर छतरी की नुकीली धार से हमला किया गया। इस घटना ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं कि ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी पर हमले के बावजूद आरोपियों को अदालत से अंतरिम संरक्षण कैसे मिल गया। शिकायत के अनुसार, हमला मनीषा कुलकर्णी और उनके बेटे मैत्रेय कुलकर्णी ने किया। चितलसर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109, 118(2), 49, 115(2), 352 और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया गया है। अदालत ने दोनों आरोपियों को अंतरिम जमानत प्रदान की है। घटना का सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस ने साक्ष्य के रूप में संलग्न किया है, जिसमें पूरा घटनाक्रम स्पष्ट रूप से दर्ज है। यह हमला उस समय हुआ जब कांस्टेबल आधिकारिक ड्यूटी पर वरिष्ठ अधिकारी के साथ था, जिससे यह संकेत मिलता है कि वर्दीधारी अधिकारियों के खिलाफ हिंसक घटनाएं उनके कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान भी हो सकती हैं। इस घटनाक्रम ने पुलिस विभाग में चिंता पैदा कर दी है। सवाल यह है कि क्या ऐसे मामलों में ज़मानत देने से कानून प्रवर्तन अधिकारियों की सुरक्षा और उनके अधिकार कमजोर पड़ते हैं? क्या यह संदेश देता है कि ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों पर हमला करने वालों को भी आसानी से राहत मिल सकती है? यह मामला अब कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर बढ़ते हमलों और उनकी सुरक्षा को लेकर व्यापक बहस का विषय बन गया है।