
मुंबई। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन वाइस चेयरमैन हीरेन भानु और उनकी पत्नी व तत्कालीन वाइस चेयरपर्सन गौरी भानु के खिलाफ एक और आपराधिक मामला दर्ज किया है। यह मामला बैंक से जुड़े एक नए 24.93 करोड़ रुपये के घोटाले से संबंधित है, जो पहले से चल रहे 122 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के दौरान सामने आया। पुलिस के मुताबिक, मुंबई के प्रभादेवी स्थित इस सहकारी बैंक में आर्थिक अनियमितताओं को लेकर आईपीसी की धाराएं 406 (आपराधिक न्यास भंग), 409 (लोक सेवक द्वारा विश्वास भंग), 418 (धोखाधड़ी) और 120(बी) (षड्यंत्र) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस नए मामले में मृत चेयरमैन रणजीत भानु, उनके बेटे हीरेन भानु, बहू गौरी भानु, बैंक की तत्कालीन एमडी दमयंती साळुंखे, सतीश चंदर, मनोज कुमार पात्रा, सुकेत कुमार पटेल, अभिमन्यु भोन, परसेप्ट ग्रुप के हरिंदर पाल सिंह सहित अन्य संचालकों को आरोपी बनाया गया है। जांच में यह बात सामने आई है कि बैंक अधिकारियों ने परसेप्ट ग्रुप को बिना आवश्यक ड्यू डिलिजेंस किए 77 करोड़ रुपये तक का लोन स्वीकृत किया। यह संदेह जताया जा रहा है कि इस लोन को जानबूझकर बाद में एनपीए घोषित कर दिया गया, और फिर ‘वन टाइम सेटलमेंट’ (OTS) का सहारा लेकर कम राशि में ऋण समाप्त कर दिया गया। इस पूरे लेन-देन के बदले में संबंधित अधिकारियों को मोटी रकम बतौर ‘किकबैक’ मिली, जो सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। सूत्रों के अनुसार, यह नया खुलासा बैंक से जुड़े कुल कथित घोटाले को 400 करोड़ रुपये तक ले जा सकता है। इससे पहले भी न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक से जुड़े 122 करोड़ रुपये के गबन की जांच जारी थी, जिसमें अब यह नया प्रकरण जुड़ गया है। आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की जांच तेज कर दी है। बैंकिंग सेक्टर में विश्वास को ठेस पहुंचाने वाले इस घोटाले ने सहकारी बैंकों के नियमन और जवाबदेही को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।