
मुंबई। मुंबई में आयोजित एफआईसीसीआई अन्नपूर्णा इंटरफूड 2025 ने भारत के फूड-प्रोसेसिंग सेक्टर को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाने की दिशा में अहम भूमिका निभाई। कार्यक्रम में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव अविनाश जोशी ने कहा कि भारत की कृषि देश की सबसे बड़ी ताकत है और फूड-प्रोसेसिंग ही इसे टिकाऊ समृद्धि में बदलने की कुंजी है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि वैल्यू-एडिशन और फूड सेफ्टी पर ध्यान नहीं दिया गया तो किसान अपनी मेहनत का उचित लाभ नहीं पा सकेंगे और उपभोक्ता गुणवत्ता से वंचित रह जाएंगे। जोशी ने पीएम किसान संपदा योजना और पीएमएफएमई जैसी सरकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि इनके तहत 35 से 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता, कोल्ड-चेन इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रयोगशालाएं और इन्क्यूबेशन सेंटर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो ग्रामीण रोजगार और उद्यमिता को नई मजबूती देंगे। फ्यूचर मार्केट इनसाइट्स की नंदिनी रॉय चौधरी ने कहा कि जेनरेशन जेड के लिए पारदर्शिता कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं बल्कि न्यूनतम अपेक्षा है और युवा उपभोक्ता यह जानना चाहते हैं कि उनका भोजन कैसे तैयार हुआ है और उसका पर्यावरण व समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है। मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौड़ ने मध्य प्रदेश को तेजी से उभरता फूड-प्रोसेसिंग हब बताया, जबकि एफआईसीसीआई के बलविंदर सिंह साहनी ने कहा कि यह आयोजन कोविड के बाद पुनर्जीवित हो रही वैल्यू-चेन के लिए निर्णायक मंच साबित हुआ है। अन्नपूर्णा इंटरफूड 2025 ने साफ संदेश दिया कि नवाचार, पारदर्शिता और मजबूत साझेदारियां ही भारत की नई फूड-इकोनॉमी का भविष्य तय करेंगी।




