Monday, March 17, 2025
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अंधेरी की महिला से 33.5 लाख की साइबर ठगी, ‘डिजिटल हिरासत’ के नाम पर जालसाजों ने लगाया चूना

मुंबई। अंधेरी की एक 49 वर्षीय महिला एक परिष्कृत साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गई और पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर जालसाजों द्वारा 33.5 लाख रुपये से ठग ली गई। जालसाजों ने महिला पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया और उसे दो विकल्प दिए- या तो तीन महीने पुलिस हिरासत में बिताएं या सात दिनों के लिए ‘डिजिटल हिरासत’ का विकल्प चुनें। घोटालेबाजों ने ‘डिजिटल कस्टडी’ को वैध दिखाने के लिए, महिला से एक ऑनलाइन आवेदन जमा करवाया, जिसे बाद में नकली अधिकारियों ने ‘अनुमोदित’ कर दिया। धोखे से अनजान महिला ने निर्देशों का पालन किया और अपनी जीवनभर की बचत उस खाते में स्थानांतरित कर दी, जिसे वह सीबीआई की निगरानी में ‘गुप्त पर्यवेक्षण खाता’ मानती थी। यह घटना 2 दिसंबर से 31 दिसंबर 2024 के बीच घटी, जो 25 फरवरी को महिला द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद सामने आई। पुलिस का मानना है कि यह मुंबई का पहला मामला हो सकता है, जहां जालसाजों ने ‘डिजिटल कस्टडी’ की अवधारणा का इस्तेमाल किया। घटना तब शुरू हुई जब महिला को एक व्यक्ति ने फोन कर बताया कि वह भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) से है और उसका मोबाइल नंबर दो घंटे में बंद कर दिया जाएगा क्योंकि उसका इस्तेमाल धोखाधड़ी और धमकी भरे संदेश भेजने के लिए किया गया है। जब महिला ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया, तो खुद को दिल्ली के साइबर अपराध विभाग से सुनील कुमार गौतम बताने वाले एक अन्य व्यक्ति ने उसे बताया कि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज है और उसके आधार विवरण का इस्तेमाल अवैध लेनदेन के लिए किया गया है।
इसके बाद, एक तीसरे व्यक्ति ने, जो खुद को आईपीएस अधिकारी राजेश्वर प्रधान बता रहा था, वीडियो कॉल किया। पुलिस की वर्दी में उसे देखकर महिला को विश्वास हो गया। प्रधान ने उसे बताया कि उसका खाता मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जुड़ा हुआ है और उसे 90 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा जा सकता है। हालांकि, प्रधान ने सात दिनों की ‘डिजिटल हिरासत’ का विकल्प दिया। महिला ने डिजिटल कस्टडी के लिए आवेदन किया, जिसे प्रधान ने तुरंत ‘मंजूरी’ दे दी। फिर उसे हर घंटे व्हाट्सएप कॉल के ज़रिए चेक-इन करने को कहा गया। ठगी को और विश्वसनीय बनाने के लिए, जालसाजों ने सीबीआई और दिल्ली पुलिस की मुहर लगे नकली दस्तावेज़ भेजे। इसके बाद प्रधान ने महिला को अपने पैसे ‘सीक्रेट सुपरविज़न अकाउंट’ में ट्रांसफर करने को कहा, यह वादा करते हुए कि सत्यापन के बाद पैसे लौटा दिए जाएंगे। 31 दिसंबर को जब प्रधान ने कॉल का जवाब देना बंद कर दिया, तब महिला को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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