
इंद्र यादव
पटना, बिहार। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा सीट पर सियासी तापमान अचानक चरम पर पहुंच गया है। पटना पुलिस की विशेष टीम ने शनिवार (1 नवंबर) देर रात बाढ़ के कारगिल मार्केट में छापेमारी कर पूर्व विधायक और एनडीए समर्थित जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह को दुलारचंद यादव हत्याकांड के मामले में गिरफ्तार कर लिया। एसएसपी कार्तिकेय शर्मा के नेतृत्व वाली टीम ने अनंत सिंह को उनके दो सहयोगियों—रंजीत सिंह और मणिकांत ठाकुर—के साथ हिरासत में लिया और उन्हें तुरंत पटना ले जाया गया। गिरफ्तारी की इस कार्रवाई ने न केवल मोकामा में तनाव बढ़ा दिया है, बल्कि पूरे बिहार की चुनावी राजनीति को हिला कर रख दिया है।यह घटना 30 अक्टूबर को मोकामा के टाल इलाके में हुई हिंसक झड़प से जुड़ी है, जहां जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह और जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पियूष प्रियदर्शी के समर्थकों के बीच पथराव और गोलीबारी हुई थी। इसी दौरान 75 वर्षीय स्थानीय निवासी दुलारचंद यादव की मौत हो गई। दुलारचंद के पोते की शिकायत पर भदौर थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 110/25 में अनंत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि अनंत सिंह के समर्थकों ने पहले फायरिंग की और फिर गाड़ी चढ़ाकर हत्या की। दूसरी ओर, अनंत सिंह ने भी पियूष प्रियदर्शी सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए हमले का शिकार होने का दावा किया है। एसएसपी शर्मा ने रविवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा, “यह कार्रवाई खुफिया सूचनाओं के आधार पर की गई। अनंत सिंह सरेंडर करने वाले थे, लेकिन हमारी टीम ने पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया। जांच में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।” उन्होंने बताया कि घटनास्थल से बरामद पत्थरों का फोरेंसिक परीक्षण कराया जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए बिहार सरकार ने जांच सीआईडी को सौंप दी है, जबकि चुनाव आयोग ने तत्काल रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने मोकामा के घोसवारी और भदौर थाना प्रभारी समेत कई अधिकारियों को निलंबित और स्थानांतरित कर दिया है। गिरफ्तारी के तुरंत बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इसे “जंगलराज की वापसी” करार देते हुए कहा कि सत्ताधारी दल का प्रत्याशी खुद हिंसा का आरोपी है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। जन सुराज पार्टी के पियूष प्रियदर्शी ने गिरफ्तारी का स्वागत तो किया, लेकिन पुलिस की देरी पर सवाल उठाते हुए कहा, “दुलारचंद की मौत के बाद ही कार्रवाई क्यों? यह साजिश का हिस्सा लगता है।” वहीं, जेडीयू ने अनंत सिंह को “राजनीतिक साजिश का शिकार” बताया और कहा कि वे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।नमोकामा सीट पर भूमिहार-यादव जातीय समीकरण पहले से ही संवेदनशील हैं। अनंत सिंह की गिरफ्तारी से एनडीए को बड़ा नुकसान हो सकता है, खासकर जब 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान हो। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे पटना जिले की 14 सीटों पर असर डालेगी। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना रोड शो से पहले हुई यह गिरफ्तारी एनडीए की छवि को और धूमिल कर सकती है। मोकामा में रविवार सुबह से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। दुकानें बंद हैं और भारी पुलिस बल तैनात है। घटना के बाद से इलाके में तनाव बना हुआ है, और अंतिम संस्कार के दौरान भी पथराव की घटनाएं हुई थीं। पुलिस ने अपील की है कि शांति बनाए रखें, अन्यथा सख्त कार्रवाई होगी। यह गिरफ्तारी बिहार चुनाव 2025 के लिए एक नया मोड़ ला सकती है, जहां 243 सीटों पर 14 नवंबर को मतगणना होनी है। क्या यह एनडीए की हार का संकेत है या विपक्ष की रणनीति का हिस्सा। आने वाले दिनों में सियासी घमासान और तेज होने की पूरी संभावना है।




