
मुंबई। राज्य की राजनीति एक बार फिर बड़े आर्थिक घोटाले के आरोपों से गरमा गई है। इस बार विवाद के केंद्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार हैं। आरोप है कि उनकी कंपनी ने पुणे में 1804 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन मात्र 300 करोड़ रुपये में खरीदी है। इस कथित अनियमित सौदे को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जांच में किसी भी प्रकार की अनियमितता या नियमों का उल्लंघन सामने आने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेगी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने पार्थ पवार के बचाव में बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि पार्थ पवार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। सुप्रिया सुले ने बताया कि उन्होंने पार्थ पवार से फोन पर बात की थी, जिसमें पार्थ ने कहा कि उनकी इसमें कोई गलती नहीं है। सुप्रिया सुले अजित पवार की बहन और पार्थ पवार की बुआ हैं। मामले की पृष्ठभूमि के अनुसार, सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने पार्थ पवार और उनके कंपनी Amadea Holdings LLP पर पुणे में कथित जमीन खरीद लेन-देन में गंभीर घोटाले के आरोप लगाए हैं। दमानिया ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ कागजात भी साझा किए हैं। आरोपों के अनुसार, कंपनी ने 1804 करोड़ रुपये मूल्य की महार वतन जमीन केवल 300 करोड़ रुपये में खरीदी, जिससे स्टैंप ड्यूटी और अन्य वित्तीय लेन-देन में अनियमितता हुई।
दमानिया ने आरोप लगाया कि 1804 करोड़ रुपये के वास्तविक मूल्य पर 126 करोड़ रुपये की स्टैंप ड्यूटी बनती थी। लेकिन सौदे को 300 करोड़ रुपये का दिखाकर स्टैंप ड्यूटी केवल 21 करोड़ रुपये बनाई गई, जिसे कथित तौर पर माफ कर दिया गया। उन्होंने इस मामले में दो दिनों के भीतर स्टैंप ड्यूटी माफ करने के आदेश आने पर भी सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी और किसी भी स्तर पर अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। इस मामले की निष्पक्ष जांच से ही राजनीतिक और वित्तीय विवादों का समाधान सुनिश्चित होगा।



