
पुणे। महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा भूचाल मच गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार के बेटे पार्थ पवार पर करोड़ों के जमीन घोटाले के गंभीर आरोप लगे हैं। पार्थ की कंपनी अमेडिया होल्डिंग्स एलएलपी पर दो अलग-अलग जगहों पर सरकारी और महार वतन (दलित समुदाय की) जमीनें बेहद कम कीमत में खरीदने के आरोप हैं। इस पूरे प्रकरण में दो एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, हालांकि अब तक पार्थ पवार का नाम इनमें नहीं जोड़ा गया है। लेकिन पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच आगे बढ़ने पर उन पर आपराधिक मामला दर्ज होने की पूरी संभावना है।
दो बड़े भूमि सौदे और भारी अनियमितताएँ
पहला मामला पुणे के कोरेगांव पार्क/मुंढवा क्षेत्र से जुड़ा है, जहाँ 1800 करोड़ रुपये मूल्य की महार वतन जमीन कथित तौर पर सिर्फ 300 करोड़ रुपये में खरीदी गई। इस सौदे में स्टैंप ड्यूटी में भी भारी छूट देने का आरोप है। दूसरा मामला खड़क पुलिस स्टेशन क्षेत्र का है, जो पुणे की सरकारी डेयरी की जमीन से जुड़ा है। इस जमीन को भी कथित रूप से अवैध तरीके से हड़पने की कोशिश की गई। मुंढवा मामले में दर्ज एफआईआर में चार आरोपी हैं- शीतल तेजवानी, तहसीलदार समेत दो सरकारी अफसर और दिग्विजय पाटिल, जो पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया में 1 प्रतिशत के हिस्सेदार हैं और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के भांजे बताए जाते हैं। दूसरी एफआईआर सरकारी डेयरी जमीन से जुड़ी है, जिसमें छह आरोपी बनाए गए हैं। अमेडिया कंपनी, दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी, दो सरकारी अधिकारी और एक लाइज़निंग एजेंट। सूत्रों के अनुसार, पार्थ पवार का कंपनी में 99 प्रतिशत स्वामित्व है, इसलिए उनके खिलाफ भी जल्द नामजद एफआईआर दर्ज हो सकती है।
सौदे से जुड़े संदिग्ध लेन-देन
जिस शीतल तेजवानी से यह जमीन खरीदी गई, उसके पति सागर सूर्यवंशी पहले से ही सेवा विकास सहकारी बैंक घोटाले में आरोपी हैं। उन पर 100 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, जिससे यह पूरा सौदा और संदिग्ध हो गया है। आरोप है कि जमीन को वास्तविक मूल्य से कई गुना कम कीमत पर खरीदकर न केवल वित्तीय अनियमितता की गई, बल्कि सरकार को राजस्व का भी बड़ा नुकसान हुआ। इस मामले के उजागर होने के बाद पुणे में दलित समुदाय ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि अजित पवार का गुट शाहू-फुले-अंबेडकर का नाम लेकर राजनीति करता है, लेकिन दलितों की जमीनें हड़पता है। प्रशासन ने फिलहाल निलंबित तहसीलदार के दफ्तर को सील कर दिया है, जो इस सौदे में शामिल बताए जा रहे हैं।
अन्ना हजारे ने भी जताई नाराज़गी
समाजसेवी अन्ना हजारे ने बिना नाम लिए इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा-अगर किसी मंत्री का बेटा इस तरह का व्यवहार करता है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। असली दोष मंत्री का होता है, क्योंकि संस्कार परिवार से शुरू होते हैं। शासन में बैठे लोगों को अपने परिवारों को उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। अन्ना हजारे ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए, और अगर कार्रवाई नहीं होती, तो सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि जनता का भरोसा व्यवस्था पर कायम रहे। इस घोटाले ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई सरगर्मी पैदा कर दी है। विपक्ष ने पार्थ पवार के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जबकि अजित पवार ने पहले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की बात कही है। यह विवाद आने वाले दिनों में राज्य की सत्ता संतुलन पर भी असर डाल सकता है।




