Saturday, December 6, 2025
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दिवाली से पहले एनसीपी विधायक संग्राम जगताप के बयान से मचा बवाल, अजित पवार ने जताई कड़ी नाराज़गी

पुणे। दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही महाराष्ट्र की सियासत में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक संग्राम जगताप के उस बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दिवाली की खरीदारी केवल हिंदू दुकानदारों से ही की जानी चाहिए। जगताप के इस बयान पर एनसीपी के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने तीखी नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस तरह के विचारों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करती। अजित पवार ने बताया कि इस तरह की टिप्पणी को लेकर पहले भी संग्राम जगताप को समझाया गया था, लेकिन कोई सुधार नहीं दिखा। अब पार्टी की ओर से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। वहीं, इस बयान पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने संग्राम जगताप का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि वह जगताप के विचारों से सहमत हैं और खुले तौर पर उनका समर्थन करते हैं। इस बीच, अकोला में एनसीपी (शरद पवार गुट) के एक पदाधिकारी की शिकायत पर संग्राम जगताप के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज किया गया है। इसी घटनाक्रम के बीच, 14 अक्टूबर को बीड में ‘हिंदू जनाक्रोश मोर्चा’ आयोजित होने जा रहा है, जिसमें संग्राम जगताप के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। वायरल वीडियो में संग्राम जगताप लोगों से अपील करते दिखाई दे रहे हैं कि दिवाली के दौरान केवल हिंदू व्यापारियों से ही सामान खरीदा जाए। जब इस बयान पर विवाद बढ़ा, तो उन्होंने अपने शब्दों का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने यह बात हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में कही थी, जहाँ लोगों को धर्म के आधार पर मारा गया था। जगताप ने कहा कि लोगों को यह सोचने का अधिकार है कि वे किससे खरीदारी करें। अजित पवार ने इस बयान को एनसीपी की विचारधारा के खिलाफ बताया और कहा कि पार्टी की नीति धर्मनिरपेक्ष और सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाली है। उन्होंने कहा, ऐसे भड़काऊ बयान न केवल समाज में विभाजन पैदा करते हैं, बल्कि पार्टी की साख को भी नुकसान पहुँचाते हैं। जब तक संग्राम के पिता अरुणकाका जगताप जीवित थे, तब तक उनके क्षेत्र में सब कुछ शांतिपूर्ण था। अब उन्हें अपने पिता की तरह जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। दिवाली से पहले आए इस बयान ने न सिर्फ एनसीपी के भीतर मतभेदों को उजागर किया है, बल्कि राज्य की राजनीति में भी एक बार फिर ‘धर्म बनाम व्यापार’ की बहस छेड़ दी है।

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