
मुंबई। कांदिवली (पूर्व) की चिंतादेवी अर्जुनदास को अपने आठ वर्षीय बेटे अजयकुमार की मौत के 27 साल बाद आखिरकार न्याय मिला। 1997 में एक पत्थर विस्फोट दुर्घटना में हुई इस दुखद घटना के लिए सिटी सिविल कोर्ट ने खनिक चंदर गडवाल को 8 प्रतिशत ब्याज सहित 2.04 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है। अजयकुमार की मौत स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई, जब गडवाल द्वारा पास के भूखंड में किए गए विस्फोट से उड़कर आया एक भारी पत्थर स्कूल की छत तोड़कर उसके सिर पर गिरा। दुर्घटना के बाद बच्चे को तुरंत भगवती अस्पताल और फिर नायर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन 16 अप्रैल 1997 को उसने दम तोड़ दिया। चिंतादेवी ने फरवरी 1998 में गडवाल के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें 10 लाख रुपये मुआवज़े की मांग की गई थी। अदालत ने पाया कि गडवाल ने स्कूल को सूचित किए बिना अवैध रूप से विस्फोट किया और लापरवाही बरती। हालांकि, अदालत ने स्कूल की ओर से किसी लापरवाही को नहीं माना, क्योंकि उन्होंने तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई थी। गृहिणी चिंतादेवी और उनके रेलवे कर्मचारी पति ने बेटे की शैक्षणिक प्रतिभा और उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। यह फैसला उनके लिए लगभग तीन दशकों के दर्द और संघर्ष के बाद न्याय का प्रतीक बनकर आया है, जिसने उनके बेटे की स्मृति को न्याय के साथ सम्मानित किया।