
मुंबई। स्कूली शिक्षा में ‘हिंदी अनिवार्य’ करने के मुद्दे पर मनसे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना द्वारा विरोध के बाद मराठी भाषा को लेकर मुंबई में माहौल गर्म हो गया है। इसी पृष्ठभूमि में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने मराठी भाषा में दुकानों के साइनबोर्ड नहीं लगाने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। मनपा की ओर से अब तक कुल 3,133 दुकानों और प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की जा चुकी है और 1.98 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया है। यह कार्रवाई महाराष्ट्र दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, 2018 और इसके संशोधित प्रावधान 2022 के तहत की जा रही है, जिसमें नियम 35 और धारा 36सी के अनुसार दुकानों के बोर्ड मराठी देवनागरी लिपि में और मोटे अक्षरों में होना अनिवार्य किया गया है। मुंबई में कुल 9 लाख से अधिक दुकानें और प्रतिष्ठान हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह नियम और भी सख्ती से लागू किया जा रहा है। बीएमसी के अनुसार, अब तक 1,27,584 दुकानों का निरीक्षण किया गया है, जिनमें से 1,23,328 दुकानों पर मराठी बोर्ड पाए गए जबकि 4,256 दुकानों पर मराठी में बोर्ड नहीं मिले। इनमें से 2,789 मामलों में अदालत में कार्रवाई शुरू की गई, जिनमें से 2,305 मामलों में उल्लंघन साबित हुआ है। मनपा ने बताया कि दोषी दुकानदारों को अदालत में पेश होना पड़ेगा, जहां जुर्माने की राशि निर्धारित की जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नियमों के उल्लंघन पर प्रति कर्मचारी 2,000 रुपये तक का जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। मनपा ने निरीक्षण के लिए विभिन्न वार्डों में 60 निरीक्षक नियुक्त किए हैं और योजना के तहत प्रतिदिन 2,000 से 3,000 दुकानों का निरीक्षण किया जा रहा है। मराठी भाषा को लेकर बढ़ते राजनीतिक तनाव और हिंदी अनिवार्यता के विरोध के बीच यह कार्रवाई स्थानीय पहचान और भाषा को संरक्षित करने की दिशा में सरकार और प्रशासन की सक्रियता को दर्शाती है।