Tuesday, December 23, 2025
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पुणे के भोसरी में दिल दहला देने वाली हत्या: उधारी के पैसों का विवाद बना प्रवासी मजदूर की मौत की वजह

पुणे। भोसरी के शांतिनगर इलाके की तंग गलियों में सोमवार सुबह उस वक्त सनसनी फैल गई, जब बैलगाड़ा घाट क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज निवासी प्रवासी मजदूर दीपक कुमार प्रजापति (40) का खून से लथपथ शव बरामद हुआ। दीपक अपनी पत्नी, दो बेटों और एक मासूम बेटी के बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर पुणे आया था और भोसरी की एक निजी कंपनी में मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। रविवार सुबह वह रोज़ की तरह काम पर निकला, लेकिन देर रात तक घर नहीं लौटा। परिजनों ने पहले सोचा कि काम अधिक होगा, मगर रात बीतने के बाद भी जब उसका कोई पता नहीं चला तो चिंता बढ़ गई। सोमवार तड़के जब लोगों ने बैलगाड़ा घाट के पास खून से सना शव देखा तो इलाके में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि दीपक का गला किसी धारदार हथियार से बेरहमी से रेता गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए भोसरी पुलिस स्टेशन के सीनियर पीआई संदीप घोरपड़े और उनकी टीम ने तुरंत जांच शुरू की। तकनीकी विश्लेषण और पूछताछ के दौरान जो सच सामने आया, उसने सभी को झकझोर कर रख दिया। हत्या किसी बाहरी अपराधी ने नहीं, बल्कि दीपक के ही गांव और बिरादरी के विष्णु प्रजापति (26) ने की थी। पुलिस के अनुसार, दोनों के बीच कुछ हजार रुपये के लेनदेन को लेकर विवाद चल रहा था। आरोपी इस बात से नाराज था कि दीपक समय पर पैसे नहीं लौटा पा रहा था। इसी गुस्से और लालच में आकर उसने दीपक पर ब्लेड से हमला कर दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। वारदात के बाद आरोपी मुंबई फरार हो गया था, लेकिन पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए उसे मुंबई से गिरफ्तार कर लिया। इस निर्मम हत्या की खबर मिलते ही प्रयागराज स्थित दीपक के गांव में मातम पसर गया, वहीं पुणे में रह रहे प्रवासी मजदूरों के बीच भी गहरा आक्रोश और भय का माहौल है। दीपक की पत्नी और तीनों बच्चे सदमे में हैं, जिनके सिर से हमेशा के लिए पिता का साया उठ गया। स्थानीय लोग और मजदूर वर्ग सवाल उठा रहे हैं कि महज कुछ हजार रुपयों के लिए एक इंसान की जान ले लेना कहां की इंसानियत है। यह घटना न केवल एक क्रूर हत्या की कहानी है, बल्कि यह भी बताती है कि आर्थिक तनाव, आपसी विवाद और अनियंत्रित गुस्सा किस तरह दो परिवारों को बर्बाद कर देता है—एक परिवार अपना सहारा खो बैठा और दूसरा अपराध के बोझ तले जेल की सलाखों के पीछे चला गया।

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