
मुंबई। मुंबई के दहिसर से शिवसेना (यूबीटी) के नेता और पूर्व विधायक विनोद घोसालकर उस समय भावुक हो गए जब उनकी बहू तेजस्वी घोसालकर ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया। घोसालकर ने कहा कि अब उन्हें अपने घर में दो पार्टियों का अस्तित्व स्वीकार करना होगा और अगर उनका बेटा अभिषेक यहाँ होता, तो यह सवाल कभी उठता ही नहीं। विनोद घोसालकर ने स्पष्ट किया कि भले ही उनकी बहू बीजेपी में चली गई है, वह स्वयं अभी भी शिवसेना में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, “हमने कभी भी घर, परिवार और राजनीति को एक साथ नहीं मिलाया है, और हमारा परिवार अभी भी जॉइंट फैमिली के रूप में रहता है। बेटे और बहू में फर्क होता है, आप अपने बेटे को डांट सकते हैं, लेकिन बहू को नहीं। बहू को अपने फैसले लेने का अधिकार है। घोसालकर ने बताया कि तेजस्वी ने अपना फैसला लेने से ठीक पहले उन्हें सूचित किया था। उन्होंने कहा, कल शाम को उसने मुझसे कहा, डैडी, मैं यह कर रही हूं। परिवार के मुखिया के नाते मैंने उसे वही कहा जो मुझे कहना था, लेकिन उस पर दबाव नहीं डाला। उन्होंने तुरंत शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख को भी इस फैसले की जानकारी दी। पूर्व विधायक ने यह भी दुख व्यक्त किया कि पिछले 10 वर्षों में राजनीतिक कारणों से परिवार प्रणाली प्रभावित हुई है और अब उन्हें स्वीकार करना होगा कि एक ही घर में दो अलग पार्टियों के सदस्य हैं। उन्होंने मुंबई बैंक के चुनावों का उदाहरण भी दिया, जहां उनके बेटे अभिषेक ने दो बार चुनाव जीता था, और परिवार ने उसकी जगह देने की मांग की थी। घोसालकर ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि इस अपॉइंटमेंट में एक साल क्यों लगा।




