Tuesday, October 14, 2025
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सदन में ताश खेलने से शुरू हुआ विवाद अब अदालत तक पहुंचा, कोकाटे-पवार टकराव ने बढ़ाई महाराष्ट्र की सियासी गर्मी

नासिक। महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों पूर्व कृषि मंत्री और एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे तथा एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता रोहित पवार के बीच चल रही जुबानी जंग ने तूल पकड़ लिया है। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब विधानसभा सत्र के दौरान कोकाटे का मोबाइल पर ‘जंगली रमी’ खेलते हुए वीडियो वायरल हुआ। यह वीडियो रोहित पवार ने सोशल मीडिया पर साझा किया था, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया। वायरल वीडियो सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने कोकाटे के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। कई जगहों पर विपक्षी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर ताश खेलकर और कोकाटे के पुतले पर कालिख पोतकर उनके इस्तीफे की मांग की। बढ़ते दबाव के चलते उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कोकाटे से कृषि विभाग का कार्यभार वापस लेकर उन्हें खेल विभाग सौंप दिया। अब यह विवाद एक नया मोड़ ले चुका है। कोकाटे ने सवाल उठाया है कि यह वीडियो बनाया कैसे गया और रोहित पवार तक पहुंचा कैसे। उन्होंने रोहित पवार पर उनकी और पार्टी की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए उनसे माफ़ी की मांग की है। इसके अलावा, कोकाटे ने नासिक की अदालत में मानहानि का मामला भी दायर किया है। सोमवार को अदालत में इस संबंध में कोकाटे का बयान दर्ज किया गया। इधर, जलगांव में एक निजी कार्यक्रम के दौरान रोहित पवार ने इस मामले में नया खुलासा कर राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी। उन्होंने कहा, “हमें कोकाटे से जुड़ा वीडियो एक पेन ड्राइव के ज़रिए मिला था। मुझे यह नहीं पता कि वह पेन ड्राइव किसने भेजी। संभव है कि यह किसी सत्ताधारी दल के विधायक ने भेजी हो, जो सदन में कोकाटे के पीछे बैठा था। पवार ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा- अगर वह व्यक्ति सामने आ जाए, तो महाराष्ट्र के चार करोड़ किसान उसका सम्मान करेंगे। रोहित पवार ने यह भी कहा कि जब सदन में उन्होंने फसल बीमा योजना के चार ट्रिगर्स हटाने के मुद्दे पर सवाल उठाया था, तो मंत्री कोकाटे ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। कृषि मंत्री के रूप में अपना दायित्व निभाने के बजाय वे ताश खेलने में व्यस्त थे, पवार ने आरोप लगाया। उन्होंने आगे कहा कि कोकाटे के इस रवैये से राज्य के किसानों को लगभग 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह पूरा विवाद अब सदन की गरिमा, मंत्री की जवाबदेही और राजनीतिक नैतिकता पर गहरी बहस छेड़ चुका है। अदालत में चल रही कार्यवाही और नए खुलासों के बीच यह मामला आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में एक और बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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