
मुंबई। लंदन में काम कर चुके 76 वर्षीय सेवानिवृत्त वित्तीय लेखा परीक्षक को साइबर ठगों ने “मनी लॉन्ड्रिंग” के आरोप और “डिजिटल गिरफ्तारी” की धमकी देकर लगभग 15 लाख रुपए का चूना लगा दिया। सौभाग्य से, समय पर शिकायत करने पर दक्षिण क्षेत्र साइबर पुलिस ने घोटालेबाज़ों द्वारा पूरी रकम निकालने से पहले ही खाते को फ्रीज कर लिया। पुलिस के अनुसार, पीड़ित, जो 2005 में सेवानिवृत्त होकर मुंबई में रह रहे हैं, को 4 अक्टूबर को व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल प्राप्त हुआ। कॉल करने वाले ने खुद को “संजय” नाम का मुंबई पुलिस अधिकारी बताया और दावा किया कि पीड़ित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शामिल हैं। इसके बाद ठगों ने व्हाट्सएप पर कई फर्जी दस्तावेज़ भेजे। जिनमें सर्वोच्च न्यायालय, सेबी और ईडी के नाम से कथित पत्र शामिल थे, जिन पर सरकारी मुहरें और हस्ताक्षर थे। ठगों ने “बरुण मित्रा, सचिव, भारत सरकार” के नाम से एक फर्जी पत्र और “गिरफ्तारी एवं ज़ब्ती आदेश” भी भेजा, जिसमें पीड़ित का नाम लिखा था। भयभीत होकर पीड़ित उनके निर्देशों का पालन करता रहा। 8 अक्टूबर को ठगों ने कहा कि अपनी “बेगुनाही साबित करने” के लिए उन्हें अपने सारे पैसे एक निर्दिष्ट खाते में जमा करने होंगे।
विश्वास में आकर, पीड़ित ने 11 अक्टूबर को 14,99,000 रुपए उस खाते में ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब उन्होंने अपने रिश्तेदार को यह बात बताई, तो ठगी का एहसास हुआ और तुरंत दक्षिण क्षेत्र साइबर पुलिस से संपर्क किया। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नंदकुमार गोपाले के निर्देशन में अधिकारियों संदीप काले और सचिन त्रिमुखे ने 1930 साइबर हेल्पलाइन की सहायता से तुरंत कार्रवाई की और ट्रांसफर की गई राशि को रोकने में सफलता हासिल की। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि ठगों ने “डिजिटल गिरफ्तारी” का झांसा देने के लिए पुलिस वर्दी पहने एक महिला की तस्वीर का इस्तेमाल किया था। पुलिस ने कहा कि आरोपियों का पता लगाने के लिए तकनीकी जांच जारी है और इस प्रकार के साइबर अपराधों से सतर्क रहने की अपील की है।




