Tuesday, December 16, 2025
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बीएआरसी वैज्ञानिक बनकर ठगी करने वाले आरोपी के खिलाफ 689 पन्नों की चार्जशीट दाखिल, विदेशी कनेक्शन उजागर

मुंबई। मुंबई क्राइम ब्रांच ने खुद को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) का वैज्ञानिक बताकर लोगों से ठगी करने वाले अख्तर कुतुबुद्दीन हुसैनी उर्फ अलेक्जेंडर पामर (60) के खिलाफ 689 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट दाखिल की है। आरोपी को 17 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। जांच में सामने आया है कि हुसैनी ने फर्जी पहचान के जरिए खुद को परमाणु वैज्ञानिक और खुफिया एजेंसियों से जुड़ा व्यक्ति बताकर लोगों को गुमराह किया, गोपनीय जानकारियों तक पहुंच होने का झूठा दावा किया और इसी आधार पर उनसे पैसे ऐंठे। चार्जशीट के मुताबिक, आरोपी के पास से बड़ी संख्या में जाली दस्तावेज बरामद किए गए हैं, जबकि उसके पाकिस्तान और मध्य पूर्व से जुड़े विदेशी संपर्कों और यात्राओं ने गंभीर सुरक्षा चिंताएं भी खड़ी कर दी हैं। वर्सोवा के यारी रोड इलाके का रहने वाला हुसैनी दो फर्जी पहचान पत्रों के सहारे खुद को अलग-अलग नामों से पेश करता था—एक अलेक्जेंडर पामर के नाम से और दूसरा अली रज़ा हुसैनी के नाम से। जांच में यह भी सामने आया है कि मुनाज़िर नाज़िमुद्दीन खान इस जालसाजी रैकेट में उसका प्रमुख सहयोगी था, जिसने 2016-17 के दौरान हुसैनी के लिए तीन फर्जी पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और पैन कार्ड तैयार किए थे। खान को 25 अक्टूबर को झारखंड के जमशेदपुर से गिरफ्तार किया गया। दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी, जालसाजी, जाली दस्तावेज रखने और उन्हें असली के रूप में इस्तेमाल करने जैसे अपराध शामिल हैं। पूछताछ के दौरान हुसैनी ने जांच एजेंसियों को गुमराह करने के लिए यह दावा किया कि उसके माता-पिता और तीनों भाई मर चुके हैं, जिसे सह-आरोपी खान ने भी समर्थन दिया, लेकिन दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की जांच में खुलासा हुआ कि उसका भाई आदिल हुसैनी जीवित है और उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार आदिल झारखंड के टाटानगर का रहने वाला है और उसने भी पाकिस्तान व मध्य पूर्व की कई यात्राएं की हैं, जिससे पूरे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। जांच एजेंसियों ने बताया कि हुसैनी को भौतिकी और जासूसी में गहरी रुचि थी और वह अक्सर खुद को खुफिया एजेंट या परमाणु विशेषज्ञ के रूप में पेश करता था। वह पहले मध्य पूर्व में तेल और मार्केटिंग कंपनियों से जुड़ा रहा था और वर्ष 2004 में दुबई से भारत संबंधी संवेदनशील जानकारियां बेचने के संदेह में डिपोर्ट भी किया गया था, हालांकि उस समय ठोस सबूत नहीं मिल पाए थे। पुलिस के मुताबिक, हुसैनी अपनी फर्जी वैज्ञानिक पहचान के जरिए विदेशी नागरिकों से संपर्क करता था, विदेश यात्राएं करता था और गोपनीय सूचनाओं तक पहुंच होने का दावा कर पैसे वसूलता था। उसके पास से नक्शे और अन्य संदिग्ध दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। फिलहाल जांच जारी है और मुंबई क्राइम ब्रांच जमशेदपुर निवासी एक अन्य आरोपी मोहम्मद इलियास मोहम्मद इस्माइल की तलाश कर रही है, जिस पर जाली दस्तावेज तैयार करने में मदद करने का आरोप है। पुलिस को उम्मीद है कि आगे की गिरफ्तारियों से इस पूरे जालसाजी नेटवर्क का पूरा खुलासा हो सकेगा।

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