
३५ से अधिक महिला उद्यमियों को मिला टेक्नोलॉजी आधारित फूड इनोवेशन का प्रशिक्षण
देवेश प्रताप सिंह राठौर
झांसी, उत्तर प्रदेश। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्तपोषित टेक्नोलॉजी इनेबलिंग सेंटर के तत्वावधान में १७ से २३ दिसंबर २०२५ तक आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘मिलेट प्रोसेसिंग: टेक्नोलॉजी आधारित फूड इनोवेशन एवं पैकेजिंग’ का आज सफल समापन हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य मिलेट आधारित खाद्य उत्पादों में नवाचार, मूल्य संवर्धन तथा स्वरोजगार को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम में बिरगुवा, सिमरावरी, ओथोंदना, केशवपुर सहित झांसी और आसपास के क्षेत्रों से आईं ३५ से अधिक महिला उद्यमियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण के माध्यम से उन्नत एवं नवाचारी मिलेट उत्पादों के निर्माण की व्यावहारिक जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के दौरान महिला उद्यमियों ने मल्टी ग्रेन आटा, मिलेट स्नैक्स, रागी लड्डू, नमकीन मिश्रण, मिलेट समोसा, मिलेट कुकीज़ तथा विभिन्न मिलेट प्रीमिक्स जैसे उत्पाद विकसित करना सीखा। इसके साथ ही फूड सेफ्टी नियमों, गुणवत्ता नियंत्रण और मिलेट आधारित खाद्य व्यवसाय प्रारंभ करने की प्रक्रिया पर भी विस्तृत जानकारी दी गई। फूड सेफ्टी से संबंधित विशेषज्ञ व्याख्यान पवन चौधरी (सहायक आयुक्त, एफ़एसडीए, झांसी) एवं सुमांशु सचान (फूड सेफ्टी ऑफिसर, एफ़एसडीए, झांसी) द्वारा दिए गए। वहीं डॉ. अनिल कुमार, निदेशक शिक्षा, Rथ्ँण्Aळ ने मिलेट प्रोसेसिंग और उससे जुड़े नवाचारी उत्पादों पर विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत किया। समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने कहा कि भारत सरकार द्वारा मिलेट्स को ‘श्री-अन्न’ का दर्जा दिया जाना और अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष–२०२३ का नेतृत्व करना, देश की कृषि और खाद्य सुरक्षा के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मिलेट्स अब केवल फसल नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत, पोषण अभियान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बनते जा रहे हैं। वास्तविक परिवर्तन तब आता है जब उत्पादन के साथ प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, खाद्य सुरक्षा और विपणन को जोड़ा जाता है। कार्यक्रम संयोजक डॉ. नूपुर गौतम ने प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन आयोजित गतिविधियों एवं उनके परिणामों की जानकारी दी, जबकि टेक्नोलॉजी इनेबलिंग सेंटर के समन्वयक डॉ. लवकुश द्विवेदी ने डीएसटी-टीईसी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए तथा एक ङङमिलेट वर्किंग किटङङ भी वितरित की गई, जिसमें मिलेट अनाज के नमूने, पोषक तत्व संरचना, मिलेट उत्पादों की रेसिपी बुक और मिलेट के स्वास्थ्य लाभ से संबंधित सूचना सामग्री शामिल थी। कार्यक्रम में डॉ. अनिल कुमार एवं श्री ज्ञानेंद्र कुमार, कुलसचिव, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त प्रो. काव्य दुबे, डॉ. प्रतिभा आर्या, डॉ. ममता सिंह, श्रीमती एकता अग्रवाल एवं श्रीमती पूजा देवी की भी गरिमामयी उपस्थिति रही। परमार्थ समाज सेवी संस्थान की ओर से श्रीमती शिवानी सिंह एवं श्रीमती संगीता श्रीवास्तव ने प्रतिनिधित्व किया। इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और परमार्थ समाज सेवी संस्थान के मध्य भविष्य में संयुक्त प्रशिक्षण, नवाचार और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल संचालन में डीएसटी -बीयूटीईसी के स्टाफ सदस्यों डॉ. निष्ठा व्यास, डॉ. श्रीकांत, श्री सतीश एवं श्री रोहित की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने सभी गतिविधियों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया।




