
लखनऊ, उत्तर प्रदेश। संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) में हुए बड़े घोटाले के मामले में लखनऊ स्थित सीबीआई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) बलिया के तत्कालीन मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी (सीएफएओ) सत्येंद्र सिंह गंगवार समेत तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने तीनों को पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई, साथ ही कुल ७७ हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह फैसला शनिवार को सुनाया गया। सजा पाने वालों में तत्कालीन कनिष्ठ लेखा लिपिक अशोक कुमार उपाध्याय और एक अन्य आरोपी रघुनाथ यादव भी शामिल हैं। अदालत ने अपने फैसले में माना कि इन तीनों ने आपसी साठगांठ से सरकारी खजाने को एक करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया। सीबीआई के अनुसार, इस मामले में ३१ अक्टूबर २००८ को एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे बाद में सीबीआई ने थाना गड़वार, जिला बलिया से अपने हाथ में लिया। जांच के दौरान कुल १३५ आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। आरोप था कि संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत सरकारी धन और खाद्यान्न का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। जांच में यह सामने आया कि करीब ७५.१२ लाख रुपये की नकद राशि और लगभग ३१.१० लाख रुपये मूल्य के खाद्यान्न का गबन किया गया। इसके लिए धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल और सरकारी रिकॉर्ड को गायब करने जैसे गंभीर अपराध किए गए। जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने ३० जून २०१० को तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। लंबी सुनवाई और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने सभी आरोपों को सिद्ध मानते हुए दोषसिद्धि का फैसला सुनाया। सीबीआई कोर्ट का यह निर्णय सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश माना जा रहा है। अदालत के इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि जनकल्याणकारी योजनाओं में गड़बड़ी करने वालों को कानून के शिकंजे से बचने नहीं दिया जाएगा।




