
मुंबई। महाराष्ट्र राज्य साइबर विभाग ने मशहूर यूट्यूबर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर पायल धारे उर्फ़ ‘पायल गेमिंग’ के नाम से वायरल किए गए एक डीपफेक वीडियो के मामले में गंभीर संज्ञान लेते हुए आपराधिक मामला दर्ज किया है। साइबर विभाग ने फर्जी वीडियो बनाने, उसे सोशल मीडिया पर सर्कुलेट करने और इसके पीछे की साज़िश में शामिल लोगों की पहचान के लिए गहन जांच शुरू कर दी है। पायल धारे की शिकायत के बाद महाराष्ट्र साइबर ने तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू की। फोरेंसिक एनालिसिस में सामने आया कि वायरल वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के दुरुपयोग से बनाया गया एक डीपफेक वीडियो है, जिसे जानबूझकर पायल धारे से जोड़कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से फैलाया गया। साइबर अधिकारियों के अनुसार, इस फर्जी वीडियो के कारण पायल धारे को गंभीर मानसिक पीड़ा, भावनात्मक आघात और सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान झेलना पड़ा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र साइबर ने भारतीय न्याय संहिता 2023, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 और महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम 1986 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पीड़िता की प्रतिष्ठा की रक्षा और फर्जी कंटेंट के आगे प्रसार को रोकने के लिए महाराष्ट्र साइबर ने एक आधिकारिक सर्टिफिकेशन भी जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि वायरल वीडियो पूरी तरह से डीपफेक और मनगढ़ंत है। अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से भ्रामक और आपत्तिजनक कंटेंट के प्रसार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
महाराष्ट्र साइबर विभाग ने बताया कि वीडियो के मूल स्रोत, इसे बनाने वाले व्यक्तियों या समूहों और इसे फैलाने के पीछे संभावित आर्थिक लाभ, उत्पीड़न या मानहानि जैसे उद्देश्यों की जांच की जा रही है। इसके लिए उन्नत साइबर फोरेंसिक तकनीक, डिजिटल ट्रेल एनालिसिस और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ समन्वय के जरिए जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि डीपफेक जैसे अपराधों को लेकर साइबर विभाग की नीति शून्य सहनशीलता की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।




