
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को 1995 के धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में महाराष्ट्र के पूर्व खेल मंत्री माणिकराव कोकाटे को आंशिक राहत देते हुए उनकी सज़ा पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन उन्हें 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर ज़मानत दे दी। जस्टिस आर.एन.लड्ढा की एकलपीठ ने कोकाटे की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। हाई कोर्ट माणिकराव कोकाटे द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने नासिक सेशंस कोर्ट द्वारा बरकरार रखी गई दो साल की सज़ा पर रोक लगाने और ज़मानत देने की मांग की थी। कोकाटे ने दलील दी थी कि अपील लंबित रहने के दौरान सज़ा लागू रहने से उनका मंत्री पद और विधायक पद दोनों खतरे में पड़ सकते हैं। कोकाटे के वकील अनिकेत निकम ने अदालत में कहा कि सज़ा के चलते संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और इसलिए मामले में तत्काल राहत जरूरी है। हालांकि, हाई कोर्ट ने सज़ा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केवल ज़मानत मंजूर की। यह मामला वर्ष 1995 का है, जब तत्कालीन मंत्री तुकाराम दिघोळे ने शिकायत दर्ज कराई थी कि माणिकराव कोकाटे और उनके भाई सुनील कोकाटे ने मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोटे के तहत फ्लैट हासिल करने के लिए जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, कोकाटे भाइयों ने स्वयं को झूठा कम आय वर्ग का बताकर यह घोषणा की थी कि उनके पास कोई अन्य संपत्ति नहीं है, जबकि जांच में यह दावा गलत पाया गया और दस्तावेज़ जाली निकले। 20 फरवरी को नासिक की मजिस्ट्रेट अदालत ने माणिकराव कोकाटे और उनके भाई को दोषी ठहराते हुए दो साल की सज़ा सुनाई थी। इसके बाद 5 मार्च को नासिक सेशंस कोर्ट ने सज़ा और दोषसिद्धि दोनों पर रोक लगा दी थी, लेकिन 16 दिसंबर को सेशंस कोर्ट ने दो साल की सज़ा को फिर से बरकरार रखा। इसके अगले ही दिन, 17 दिसंबर को कोकाटे ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया और सज़ा व दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की। अब हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद कोकाटे को ज़मानत तो मिल गई है, लेकिन उनकी दोषसिद्धि और सज़ा फिलहाल बरकरार रहेगी।




