Monday, December 22, 2025
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स्थानीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, प्रज्ञा सातव ने छोड़ी पार्टी, भाजपा में हुईं शामिल

मुंबई। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) प्रज्ञा सातव ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली। प्रज्ञा सातव ने भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। उनके साथ सोलापुर के पूर्व विधायक दिलीप माने ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। सूत्रों के अनुसार, दिन में विधान परिषद के सभापति राम शिंदे से चर्चा के बाद प्रज्ञा सातव ने विधानमंडल सचिवालय में अपना इस्तीफा सौंपा। स्थानीय निकाय चुनावों के बीच प्रज्ञा सातव का कांग्रेस से इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वह पहली बार वर्ष 2021 में महाराष्ट्र विधान परिषद की सदस्य चुनी गई थीं और जुलाई 2024 में उन्हें दूसरी बार विधान परिषद के लिए नामित किया गया था। उनका कार्यकाल वर्ष 2030 तक निर्धारित था। राज्य में 15 जनवरी को 29 नगर निगमों के चुनाव होने हैं, जिनकी मतगणना अगले दिन की जाएगी। प्रज्ञा सातव मराठवाड़ा क्षेत्र के हिंगोली जिले की निवासी हैं। वह दिवंगत कांग्रेस नेता राजीव सातव की पत्नी हैं, जिन्हें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का बेहद करीबी और भरोसेमंद सहयोगी माना जाता था। राजीव सातव के निधन के बाद प्रज्ञा सातव ने महाराष्ट्र कांग्रेस की उपाध्यक्ष के रूप में भी जिम्मेदारी निभाई थी। राजीव सातव का राजनीतिक कद कांग्रेस में काफी मजबूत रहा। वर्ष 2014 की मोदी लहर में महाराष्ट्र से कांग्रेस के केवल दो सांसद चुने गए थे, जिनमें राजीव सातव भी शामिल थे। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई और राहुल गांधी ने उन्हें गुजरात कांग्रेस का प्रभारी बनाया था, जहां उनके नेतृत्व में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, वर्ष 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण उनका असमय निधन हो गया। प्रज्ञा सातव दो बार एमएलसी रह चुकी हैं। कांग्रेस ने उन्हें 2021 के उपचुनाव में विधान परिषद का उम्मीदवार बनाया था, जहां वह निर्विरोध चुनी गईं। इसके बाद 2024 में वह दूसरी बार कांग्रेस की ओर से विधान परिषद सदस्य बनीं, लेकिन अब कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्होंने पार्टी छोड़कर भाजपा का रुख कर लिया है। इसे कांग्रेस के लिए एक बड़ा राजनीतिक सेटबैक माना जा रहा है।

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