
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को यस बैंक के को-फाउंडर और पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर राणा कपूर से रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप (एडीएजी) कंपनियों से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ की। राणा कपूर का बयान प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया। ईडी यस बैंक और अनिल अंबानी ग्रुप के बीच कथित संदिग्ध लेन-देन की जांच कर रही है, जिनसे बैंक को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचने का आरोप है। जांच एजेंसी के अनुसार, राणा कपूर के कार्यकाल के दौरान 31 मार्च 2017 तक एडीएजी कंपनियों में यस बैंक का एक्सपोजर लगभग 6,000 करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च 2018 तक बढ़कर करीब 13,000 करोड़ रुपये हो गया। यह पूछताछ वर्ष 2017 से 2019 के बीच की उन डील्स से जुड़ी है, जिनमें यस बैंक ने रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) में 2,965 करोड़ रुपये और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था। ईडी का दावा है कि दिसंबर 2019 तक ये दोनों निवेश नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बन गए। अधिकारियों के मुताबिक, आरएचएफएल में 1,353.5 करोड़ रुपये और आरसीएफएल में 1,984 करोड़ रुपये की बकाया राशि के चलते यस बैंक को करीब 3,300 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ। ईडी का आरोप है कि इन कंपनियों द्वारा फंड डायवर्जन किया गया। ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि आरएचएफएल और आरसीएफएल को 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का सार्वजनिक धन मिला था। जांच में सामने आया है कि यस बैंक द्वारा एडीएजी कंपनियों में निवेश से पहले बैंक को रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड से बड़ी राशि प्राप्त हुई थी। सेबी के नियमों के तहत हितों के टकराव के कारण अनिल अंबानी ग्रुप की वित्तीय कंपनियों में सीधे निवेश की अनुमति नहीं थी, इसलिए कथित तौर पर म्यूचुअल फंड के पैसे को एक घुमावदार रास्ते से यस बैंक के जरिए ग्रुप कंपनियों तक पहुंचाया गया। ईडी ने इन लेन-देन को सामान्य कारोबारी सौदे नहीं, बल्कि कथित ‘क्विड प्रो क्वो’ (“कुछ के बदले कुछ”)व्यवस्था बताया है। एजेंसी का दावा है कि यस बैंक के निवेश के बदले एडीएजी कंपनियों ने राणा कपूर के परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनियों को ऋण दिए। जांच एजेंसियों के अनुसार, इन सौदों को अंतिम रूप देने के लिए राणा कपूर और अनिल अंबानी के बीच निजी बैठकें हुईं, जिनमें यस बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल नहीं थे। इसके बाद कथित तौर पर बैंक अधिकारियों पर गैर-व्यावसायिक प्रस्तावों को मंजूरी देने का दबाव बनाया गया। ईडी ने संकेत दिया है कि यह पूछताछ आपराधिक साजिश, आधिकारिक पद के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं की व्यापक जांच का हिस्सा है और आगे और पूछताछ हो सकती है। इस मामले में ईडी के साथ-साथ सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) भी एडीएजी कंपनियों की जांच कर रही हैं। हाल ही में ईडी ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बैंक खातों में 77.86 करोड़ रुपये फ्रीज किए थे, जो फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के उल्लंघन से जुड़े बताए जा रहे हैं। पीएमएलए और फेमा मामलों को मिलाकर एडीएजी ग्रुप से संबंधित जांच के दायरे में आने वाली संपत्तियों का कुल मूल्य अब 10,117 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में सीबीआई ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े 228.06 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी के खिलाफ भी केस दर्ज किया है।




