
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को विधानमंडल परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि विधानसभा और विधान परिषद- दोनों सदनों में विपक्ष का नेता (LoP) पद खाली है, जो लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) ठाकरे ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मुलाकात की और अपनी मांग रखी। उद्धव ठाकरे ने बताया कि उनकी पार्टी ने भास्कर जाधव के नाम की सिफारिश का पत्र पहले ही सौंप दिया है, लेकिन सरकार अब तक निर्णय नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष और सभापति ने “जल्द निर्णय” लेने की बात तो कही है, लेकिन इसकी कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। ठाकरे ने मांग की कि सदन का सत्र समाप्त होने से पहले विपक्ष का नेता नियुक्त किया जाए, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान बरकरार रहे।
26/11 के दौरान जिम्मेदारी स्वीकारने का उदाहरण
अपनी बात की शुरुआत में उद्धव ठाकरे ने पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पाटिल ने 26/11 हमलों के दौरान अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की और तत्काल इस्तीफा दिया। “कांग्रेस ने जो जिम्मेदारी उन्हें दी, उन्होंने ईमानदारी से निभाई।
उपमुख्यमंत्री पद को बताया असंवैधानिक
उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर कहा कि उपमुख्यमंत्री का पद असंवैधानिक है और इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा- अगर नियमों की बात करें, तो कल को 40 उपमुख्यमंत्री भी बना देंगे। ठाकरे ने दिल्ली विधानसभा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ सत्ता पक्ष की 70 सीटों के मुकाबले विपक्ष के पास केवल 3 सीटें थीं, फिर भी विपक्ष के नेता की नियुक्ति की गई थी। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक परंपराओं में सत्ता पक्ष विपक्ष के नेता का नाम तय नहीं करता।
किसानों और विदर्भ मुद्दे पर भी साधा निशाना
किसानों की समस्या पर बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि सरकार को राहत देने में देरी नहीं करनी चाहिए। “जब मैं मुख्यमंत्री था, हमने तत्काल सहायता दी थी, उन्होंने कहा। विदर्भ मुद्दे पर उन्होंने अलग राज्य गठन की मांग को अनुचित बताते हुए कहा- मुख्यमंत्री खुद विदर्भ से हैं। महाराष्ट्र विदर्भ का है और विदर्भ महाराष्ट्र का-इसे कोई नहीं तोड़ सकता। उद्धव ठाकरे के इन बयानों ने महाराष्ट्र के वर्तमान राजनीतिक माहौल में हलचल पैदा कर दी है, खासकर तब जब विपक्ष के नेता की नियुक्ति को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तकरार गहराती जा रही है।




