
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को पुणे की 300 करोड़ रुपए की लैंड डील मामले में पुलिस से सवाल किया कि क्या डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम एफ़आईआर में न लेकर उन्हें बचाया जा रहा है। जस्टिस माधव जामदार ने शीतल तेजवानी की प्री-अरेस्ट बेल अर्जी पर सुनवाई के दौरान पूछा, “क्या पुलिस उपमुख्यमंत्री के बेटे को बचा रही है और सिर्फ दूसरों की जांच कर रही है?” पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मनकुंवर देशमुख ने जवाब दिया कि जांच जारी है और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, पार्थ पवार और उनके पार्टनर दिग्विजय पाटिल की फर्म अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी ने पुणे के प्राइम मुंधवा इलाके में 40 एकड़ ज़मीन खरीदी, जो महार वतन ज़मीन की कैटेगरी में आती है। तेजवानी की ओर से डुप्लीकेट एफ़आईआर को चुनौती दी गई, यह एफ़आईआर उसी ज़मीन डील से जुड़ी है और पहले से ईकोनॉमिक ऑफ़ेंस विंग की जांच में है। तेजवानी ने दावा किया कि यह रजिस्टर्ड बिक्री ट्रांज़ैक्शन था और उन्होंने केवल पावर ऑफ़ अटॉर्नी होल्डर के तौर पर काम किया।
इस एफ़आईआर में आरोप है कि अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी ने 294.65 करोड़ रुपए कीमत की वतन ज़मीन को केवल 500 रुपए स्टाम्प ड्यूटी पर रजिस्टर किया। शिकायतकर्ता संतोष अशोक हिंगाने के अनुसार, यह सौदा गैरकानूनी था क्योंकि महार वतन ज़मीन बिना राज्य सरकार की मंज़ूरी बेची नहीं जा सकती थी। एफ़आईआर में तेजवानी, पार्थ पवार के पार्टनर दिग्विजय पाटिल और रजिस्ट्रार ऑफिस के सस्पेंड सब-रजिस्ट्रार पर कथित धोखाधड़ी और क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट के आरोप लगाए गए हैं। 3 दिसंबर को तेजवानी को एफ़आईआर में गिरफ्तार किया गया था और उनकी प्री-अरेस्ट बेल याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें उन्होंने यह तर्क दिया कि दूसरी एफ़आईआर डुप्लीकेट है और इसमें कोई क्रिमिनल इरादा नहीं है। तेजवानी ने याचिका वापस ले ली जब जस्टिस जामदार ने कहा कि वे याचिका पर विचार नहीं करेंगे।




