
ठाणे। ठाणे जिले में दो अलग-अलग मामलों में आर्थिक अपराधों की बड़ी घटनाएँ सामने आई हैं। पहले मामले में मनपाड़ा पुलिस ने एक ज्वैलर से 70 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में एक कपल और उनके साथी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वहीं दूसरे मामले में उल्हासनगर कैंप नंबर 1 की एक रिटायर्ड महिला से “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर ₹60.20 लाख की साइबर ठगी हुई है। मनपाड़ा पुलिस के अनुसार, अक्टूबर महीने में आरोपियों ने तीन अलग-अलग लेनदेन में ज्वैलर से लगभग 70 लाख रुपये के सोने के आभूषण खरीदे। पहले उन्होंने समय पर भुगतान कर विश्वास जीता और उसके बाद बड़ी खरीदारी कर भुगतान में देरी करने लगे। ज्वैलर द्वारा पैसे मांगने पर आरोपियों ने कथित रूप से गाली-गलौज और धमकी भी दी। 5 दिसंबर को शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने तीनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं- धोखाधड़ी (318(4)), बेईमानी से संपत्ति का दुरुपयोग (314), जानबूझकर अपमान (352), आपराधिक धमकी (351(2)) और समान इरादा (3(5)) के तहत केस दर्ज किया है। दूसरी घटना उल्हासनगर से है, जहाँ एक रिटायर्ड महिला विद्या परसराम रमानी को फ़ोन और व्हाट्सऐप के जरिए “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाकर ₹60.20 लाख की ठगी की गई। 17 से 29 नवंबर 2025 के बीच स्कैमर्स ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए नकली सरकारी पहचान पत्र, समन, सुप्रीम कोर्ट और ईडी के फर्जी दस्तावेज भेजे। उन्होंने रिया शर्मा, प्रदीप जायसवाल, विश्वास पाटिल जैसे नामों का इस्तेमाल कर पीड़िता को डराया और कथित “वेरिफिकेशन” के लिए पैसे ट्रांसफर करवाए। डर के कारण बुज़ुर्ग महिला ने कई बैंक खातों के माध्यम से 60.20 लाख रुपये भेज दिए। ठगी का एहसास होने पर पीड़िता ने उल्हासनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस इंस्पेक्टर लक्ष्मण कांबले की निगरानी में जांच जारी है और चारों आरोपियों को पकड़ने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। दोनों मामलों ने एक बार फिर आर्थिक अपराध और साइबर फ्रॉड को लेकर जनता में चिंता बढ़ा दी है, जबकि पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध कॉल या दस्तावेज़ की तुरंत सत्यापन करने की अपील की है




