
जम्मू। दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद अलगाववादी नेता यासीन मलिक की कानूनी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। शनिवार को जम्मू के टाडा कोर्ट में पेश दो अहम चश्मदीद गवाहों ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ़) के चार जवानों की हत्या के मामले में यासीन मलिक की पहचान की। गवाहों ने मलिक के साथ उसके तीन कथित साथियों जावेद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू उर्फ सलीम नाना जी और शौकत बख्शी को भी पहचाना। मलिक इस सुनवाई में जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ। एक अन्य गवाह, जो वायुसेना का अधिकारी था, ने कोर्ट को बताया कि घटना के समय गोली चलाने वाला मुख्य आरोपी यासीन मलिक ही था। यह मामला 25 जनवरी 1990 का है, जब श्रीनगर के रावलपुरा इलाके में हुई फायरिंग में वायुसेना के चार जवानों की मौत हो गई थी और 22 अन्य घायल हुए थे। मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को तय की गई है। इधर, टेरर फंडिंग केस में एनआईए ने यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है। एजेंसी ने 10 नवंबर 2025 को बंद कमरे में सुनवाई कराने की भी अपील की है, जिस पर हाईकोर्ट ने 28 जनवरी 2026 की तारीख तय की है। उल्लेखनीय है कि 24 मई 2022 को ट्रायल कोर्ट ने यूएपीए और आईपीसी के तहत दोषी ठहराते हुए यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। एनआईए ने इस सजा को अपर्याप्त बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी है और कहा है कि केवल गुनाह कबूल करने के आधार पर खतरनाक आतंकियों को मौत की सजा से राहत नहीं दी जानी चाहिए।




