
मुंबई। साइबर अपराधियों ने एक बार फिर बुजुर्गों को निशाना बनाते हुए बड़ी ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया है। मुंबई सेंट्रल के रहने वाले 81 वर्षीय नॉर्दर्न रेलवे के सेवानिवृत्त जूनियर इंजीनियर को एक ठग ने बैंक प्रतिनिधि बनकर वीडियो कॉल के माध्यम से करीब 26 लाख रुपये का चूना लगा दिया। पीड़ित को 12 नवंबर को एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को बैंक अधिकारी बताया। इसके बाद उसे वीडियो कॉल पर लिया गया और कहा गया कि उसका “लाइफ सर्टिफिकेट” रद्द हो गया है। पेंशन से जुड़े इस झूठे दावे से घबराए बुजुर्ग से डेबिट कार्ड डिटेल और पिन मांगा गया, लेकिन संदेह होने पर उन्होंने जानकारी देने से इनकार कर फोन बंद कर दिया। एक घंटे बाद फोन चालू करने पर उनके मोबाइल पर बैंक के कई मैसेज आए, जिनसे पता चला कि आठ ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए करीब 26 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए गए हैं। पीड़ित ने तुरंत साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। इसी तरह की एक और चौंकाने वाली घटना महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में सामने आई, जहां 74 वर्षीय डॉक्टर को “डिजिटल अरेस्ट” नामक अत्याधुनिक साइबर फ्रॉड का शिकार बनाते हुए ठगों ने 7.17 करोड़ रुपये ठग लिए। डॉक्टर को 7 सितंबर को एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को ट्राई (TRAI) अधिकारी बताकर उनका नंबर मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा होने का दावा किया। इसके बाद एक अन्य व्यक्ति ने पुलिस अधिकारी बनकर फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजा। ठगों ने वीडियो कॉल पर नकली ऑनलाइन कोर्ट की व्यवस्था की, जिसमें जज, कोर्ट स्टाफ और पुलिस की वेशभूषा में लोग शामिल थे। इससे डॉक्टर पूरी तरह डर गए और खुद को “डिजिटल अरेस्ट” की स्थिति में मान बैठे। कई हफ्तों तक उन्हें मानसिक दबाव में रखकर अलग-अलग खातों में 7.17 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए। बाद में जब और पैसों की मांग की गई, तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ और उन्होंने साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल, वीडियो कॉल या खुद को अधिकारी बताने वाले व्यक्ति पर बिना सत्यापन भरोसा न करें और किसी भी स्थिति में बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी साझा न करें।




