
मुंबई। अधिकारियों ने मंगलवार को पुष्टि की कि दिल्ली कार विस्फोट मामले के आरोपियों से जुड़े तीन लोगों को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया है और आगे की पूछताछ के लिए उन्हें दिल्ली भेजा जा रहा है। पुलिस की एक विशेष टीम ने गोपनीय अभियान चलाकर इन तीनों को अलग-अलग स्थानों से पकड़ा। शुरुआती जांच में सामने आया है कि ये तीनों आरोपी सोशल मीडिया एप्लिकेशन के माध्यम से विस्फोट मॉड्यूल के मुख्य अभियुक्तों के संपर्क में थे। अधिकारियों के अनुसार, हिरासत में लिए गए ये लोग भी उसी प्रकार संपन्न परिवारों से आते हैं, जैसे दिल्ली विस्फोट से जुड़े आतंकी मॉड्यूल के दो प्रमुख आरोपी- डॉ. उमर मोहम्मद और डॉ. मुज़म्मिल। राज्य के विभिन्न जिलों में भी इसी प्रकार की जांच जारी है। इससे पहले सोमवार को सूत्रों ने बताया था कि जांचकर्ताओं को एन्क्रिप्टेड चैट, हथियारों की आवाजाही और आतंकी मॉड्यूल के भीतर एक संगठित आंतरिक नेटवर्क के संकेत मिले हैं। यह नेटवर्क दिल्ली के लाल किले के पास आई20 कार में हुए विस्फोट के चालक डॉ. उमर मोहम्मद से जुड़ा बताया गया। इस विस्फोट में कम से कम 13 लोगों की मौत हुई थी और दर्जनभर से अधिक लोग घायल हुए थे। सूत्रों के अनुसार, उमर ने करीब तीन महीने पहले एक एन्क्रिप्टेड सिग्नल ग्रुप बनाया था, जिसमें उसने निगरानी से बचने के लिए विशेष अक्षरों वाले नाम का उपयोग किया। इसी चैनल के जरिए उसने मुज़म्मिल, आदिल राथर, मुज़फ्फर राथर और मौलवी इरफान अहमद वाघे को जोड़ा। यह समूह मॉड्यूल के आंतरिक समन्वय का मुख्य केंद्र था। जांच तब निर्णायक मोड़ पर पहुंची जब डॉ. शाहीन शाहिद की कार से एक असॉल्ट राइफल और पिस्तौल बरामद हुई। जांचकर्ताओं का मानना है कि ये हथियार उमर ने खरीदे थे और बाद में 2024 में किसी समय इरफान को सौंपे थे। शाहीन ने पहले भी मुज़म्मिल के साथ इरफान के कमरे में जाकर यही हथियार देखे थे, और संदेह है कि मॉड्यूल की आर्थिक संरचना में उसकी भूमिका काफी बड़ी थी। उपलब्ध सबूत एक स्पष्ट पदानुक्रम और भूमिकाओं के विभाजन की ओर संकेत करते हैं। मॉड्यूल की वित्तीय सहायता मुख्य रूप से तीन डॉक्टरों द्वारा संचालित थी, जिसमें डॉ. मुज़म्मिल सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। कश्मीरी युवकों की भर्ती का काम इरफान संभालता था। माना जाता है कि उसने ही दो गिरफ्तार युवकों- आरिफ निसार डार उर्फ साहिल और यासिर उल अशरफ को इस मॉड्यूल में शामिल कराया था।




