
मुंबई। रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने सोमवार को दूसरी बार विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी तारीख और समय पर वे “आभासी उपस्थिति/रिकॉर्डेड वीडियो” के माध्यम से एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए तैयार हैं। इससे पहले उन्होंने शुक्रवार को ईडी के समन पर उपस्थित नहीं हुए थे और आभासी गवाही का वही अनुरोध दोहराया। हालांकि, ईडी ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और दूसरा समन जारी करते हुए उन्हें 17 नवंबर को दिल्ली मुख्यालय में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि फेमा के तहत कार्यवाही दीवानी प्रकृति की होती है, न कि पीएमएलए के तहत आपराधिक प्रक्रियाओं जैसी। यह समन जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना के 15 साल पुराने ईपीसी अनुबंध से संबंधित फेमा जांच से जुड़ा है। 2010 में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने प्रकाश एस्फाल्टिंग्स एंड टोल हाईवे (PATH) को ईपीसी अनुबंध दिया था, जिसे 2013 में पूरा किया गया। एजेंसी को संदेह है कि इस परियोजना से लगभग 100 करोड़ रुपये हवाला के जरिए विदेश भेजे गए थे। ईडी ने अंबानी को तलब करने से पहले कथित हवाला ऑपरेटरों समेत कई व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं। ईडी का कहना है कि 2010 के ईपीसी अनुबंध से 40 करोड़ रुपये सूरत स्थित शेल कंपनियों के माध्यम से निकाले गए और दुबई भेजे गए। एजेंसी को संदेह है कि यह 600 करोड़ रुपये से अधिक के अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का हिस्सा है। इससे पहले अनिल अंबानी से समूह की कंपनियों से जुड़े कथित 17,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से संबंधित एक मनी लॉन्ड्रिंग जांच में भी पूछताछ की गई थी।




