
मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) पक्ष प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को महाराष्ट्र में प्रस्तावित त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध करते हुए स्पष्ट कहा है कि हिंदी को पहली कक्षा से अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। त्रिभाषा सूत्र समिति के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र जाधव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ठाकरे का मानना है कि हिंदी का उपयोग शिक्षा व्यवस्था में होना चाहिए, लेकिन इसे शुरुआती स्तर से थोपना उचित नहीं होगा। डॉ. जाधव ने हाल ही में उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर त्रिभाषा फॉर्मूले और राज्य की भाषा नीति पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि ठाकरे ने इस बैठक के दौरान दृढ़ता से कहा कि मातृभाषा मराठी को प्राथमिकता मिलनी चाहिए और हिंदी को वैकल्पिक रखा जाए। डॉ. जाधव ने कहा कि समिति राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाकर नेताओं, शिक्षाविदों और नागरिकों की राय ले रही है ताकि भाषा नीति छात्रों के हित में तैयार की जा सके। उन्होंने बताया कि समिति को अपनी अंतिम रिपोर्ट 5 दिसंबर तक राज्य सरकार को सौंपनी थी, लेकिन अब यह रिपोर्ट 20 दिसंबर तक सौंपी जाएगी क्योंकि कुछ जिलों में नागरिक संवाद और दौरे बढ़ गए हैं। प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, अब तक अपनी राय देने वाले लगभग 95 प्रतिशत नागरिकों ने सुझाव दिया है कि हिंदी को कक्षा 1 से नहीं बल्कि कक्षा 5 से अनिवार्य किया जाना चाहिए। जाधव ने स्पष्ट किया कि उद्धव ठाकरे को यह भ्रम था कि समिति का उद्देश्य हिंदी को अनिवार्य बनाना है, लेकिन बैठक के दौरान उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि समिति का उद्देश्य किसी भाषा को थोपना नहीं, बल्कि छात्रों के हित में संतुलित नीति तैयार करना है। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र की भाषाई पहचान और मराठी भाषा की समृद्ध परंपरा को किसी भी नीति में सर्वोच्च स्थान दिया जाना चाहिए।




