
मुंबई। कौशल, रोजगार, उद्यमिता एवं नवाचार विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा वर्मा ने कहा कि पत्रकारिता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का संगम केवल तकनीकी क्रांति नहीं है, बल्कि यह ज़िम्मेदार और नैतिक समाचार निर्माण की एक नई मानसिकता की ओर भी संकेत करता है। वे रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय, मंत्रालय और विधान समाचार संवाददाता संघ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पत्रकारों के लिए “कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रशिक्षण कार्यक्रम” के उद्घाटन अवसर पर बोल रही थीं। इस कार्यक्रम में सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के प्रमुख सचिव एवं महानिदेशक बृजेश सिंह, रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अपूर्व पालकर, मंत्रालय एवं विधान समाचार संवाददाता संघ के दिलीप सपाटे सहित समाचार पत्र, डिजिटल मीडिया और समाचार एजेंसियों के अनेक पत्रकार उपस्थित थे। अतिरिक्त मुख्य सचिव वर्मा ने कहा कि “एआई प्रशिक्षण सभी के लिए एक समान नहीं हो सकता। इसकी रूपरेखा प्रतिभागियों के अनुभव और तकनीकी समझ को ध्यान में रखकर तैयार की जानी चाहिए। केवल उपकरणों की जानकारी देना पर्याप्त नहीं, बल्कि उनके व्यावहारिक उपयोग को समझाना अधिक आवश्यक है। इस प्रशिक्षण में एआई आधारित समाचार प्रसारण, रिपोर्टिंग में नैतिकता, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी), तथ्य-जांच, अनुवाद उपकरण, चैट जीपीटी, ग्रामरली, और गूगल ट्रांसलेट जैसे विषयों पर प्रयोगात्मक सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। वर्मा ने कहा कि “हर दिन के साथ सीखने की प्रक्रिया गहरी होती जाएगी और प्रतिभागी प्रशिक्षण के अंत तक आत्मविश्वास के साथ एआई का उपयोग करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण को केवल एक तकनीकी पाठ्यक्रम के रूप में नहीं, बल्कि ज्ञान और नवाचार के नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जाना चाहिए। “न्यूयॉर्क टाइम्स, द गार्जियन, पीटीआई, हिंदुस्तान टाइम्स जैसे संस्थानों ने पहले ही एआई को अपने कार्य में अपनाया है। महाराष्ट्र में पत्रकारिता को भी इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। वर्मा ने कहा कि मीडिया का उद्देश्य केवल तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाना भी है। “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि तकनीक का उपयोग नैतिक पत्रकारिता के मूल्यों के साथ किया जाए।”
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अर्थ है कृत्रिम मस्तिष्क: प्रो.डॉ.अपूर्व पालकर
रतन टाटा महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अपूर्व पालकर ने कहा- कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी कृत्रिम मस्तिष्क। जैसे मानव मस्तिष्क में स्मृति और प्रसंस्करण की प्रक्रियाएँ होती हैं, वैसे ही एआई भी डेटा के माध्यम से सीखता और प्रतिक्रिया करता है। लेकिन इस कृत्रिम मस्तिष्क के उपयोग में मानवीय विवेक और संवेदना का हस्तक्षेप अनिवार्य है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एआई का उपयोग जिम्मेदारीपूर्वक न किया गया, तो यह गलत सूचना और झूठी खबरों के प्रसार का कारण बन सकता है। इसलिए पत्रकारों को एआई के कानूनी, नैतिक और व्यावहारिक पहलुओं का ज्ञान होना चाहिए। डॉ. पालकर ने कहा कि अगले पाँच वर्षों में पत्रकारिता के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन देखने को मिलेंगे। “एआई का अर्थ अंततः डेटा है- जितना अधिक और शुद्ध डेटा होगा, उतने ही विश्वसनीय परिणाम प्राप्त होंगे। इसलिए पत्रकारों को तथ्य-जाँच, अनुवाद, और विषयवस्तु प्रस्तुति में एआई उपकरणों का सही उपयोग सीखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि “एआई चाहे कितनी भी उन्नत हो जाए, मानवीय संवेदनशीलता और विचार-शक्ति का कोई विकल्प नहीं है। कार्यक्रम का संचालन मंत्रालय एवं विधायी संवाददाता संघ के महासचिव दीपक भातुसे ने किया।




