
बेंगलुरु। कर्नाटक में गन्ना किसानों का नौ दिवसीय आंदोलन शुक्रवार को उस समय समाप्त हो गया, जब राज्य सरकार ने गन्ने पर प्रति टन 100 रुपए का अतिरिक्त समर्थन मूल्य देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की इस घोषणा के बाद किसानों ने अपने प्रदर्शन को बड़ी जीत बताते हुए वापस ले लिया।
इंचगेरी मठ के शशिकिरण गुरुजी और कर्नाटक रैयत संघ के अध्यक्ष चुनप्पा पुजारी के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन में बेलगावी, बागलकोट और विजयपुरा जिलों के हजारों किसान शामिल थे। वे 30 अक्टूबर से 3,550 रुपए प्रति टन का भाव तय करने की मांग कर रहे थे। बेलगावी के गुरलापुर से शुरू हुआ यह आंदोलन 1 नवंबर से अन्य जिलों में फैल गया था। शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चीनी मिल मालिकों के साथ बैठक की और उन्हें प्रति टन 50 रुपए अतिरिक्त भुगतान करने के लिए राजी किया। राज्य सरकार ने भी समान राशि देने का निर्णय लिया, जिससे किसानों को कुल 100 रुपए प्रति टन अतिरिक्त मिलेंगे। सिद्धारमैया ने कहा, “हमने मिल मालिकों को 50 रुपये प्रति टन अतिरिक्त देने के लिए मनाया है। राज्य सरकार भी 50 रुपये प्रति टन देगी। इससे किसानों को राहत मिलेगी और राज्य के खजाने व मिलों पर लगभग 300-300 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। बैठक में यह भी तय किया गया कि राज्य सरकार केंद्र सरकार से चीनी उद्योग से जुड़ी मौजूदा नीतियों की समीक्षा करने का आग्रह करेगी। इसमें इथेनॉल उत्पादन व निर्यात पर लगी रोक हटाने, चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में संशोधन और उचित एवं पारिश्रमिक मूल्य (एफ़आरपी) के निर्धारण से वसूली को जोड़ने जैसे मुद्दे शामिल होंगे। सिद्धारमैया ने कहा- हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और इथेनॉल के निर्यात व उत्पादन पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध करेंगे। मैंने पहले ही उन्हें पत्र भेजा है और मिलने का समय मांगा है। अगर समय मिलता है, तो मैं कल ही दिल्ली जाऊंगा। उन्होंने बताया कि चीनी मिल मालिकों ने सरकार से चीनी निर्यात की सीमा मौजूदा 10 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 20 लाख मीट्रिक टन करने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि किसानों और मिल मालिकों के साथ एक और बैठक जल्द बुलाई जाएगी, जिसमें गन्ने की तौल में पारदर्शिता, चीनी उत्पादन के निर्धारण में धोखाधड़ी और बिजली पर वसूले जा रहे कर जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। सरकार की इस घोषणा के बाद आंदोलनकारी नेताओं ने कहा कि यह किसानों की एक ऐतिहासिक जीत है और इससे राज्य के गन्ना उत्पादकों को आर्थिक राहत मिलेगी।




