
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 68 करोड़ रुपये से ज़्यादा की जाली बैंक गारंटी (बीजी) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोलकाता के कंसल्टेंट अमर नाथ दत्ता को गिरफ्तार किया है। यह मामला रिलायंस पावर लिमिटेड की सब्सिडियरी से जुड़ा है, जिस पर आरोप है कि उसने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को जाली बीजी और एंडोर्समेंट जमा किए थे। ईडी के मुताबिक, अमर नाथ दत्ता को 6 नवंबर, 2025 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया। उन्हें नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-04 के सामने पेश किया गया, जहां अदालत ने ईडी को 10 नवंबर तक चार दिन की हिरासत प्रदान की।
दत्ता ने निभाई फर्जी बीजी रैकेट में अहम भूमिका
ईडी की जांच में सामने आया है कि दत्ता, जो ट्रेड फाइनेंसिंग में कंसल्टेंसी देने का दावा करता था, ने अशोक पाल और पार्थ सारथी बिस्वाल के साथ मिलकर जाली बीजी रैकेट चलाने में केंद्रीय भूमिका निभाई। जांच इस मामले में दर्ज तीन एफआईआर से शुरू हुई, जिनमें दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में एसईसीआई द्वारा दर्ज एफआईआर नंबर 0079/2025 भी शामिल है। रिलायंस पावर की सब्सिडियरी द्वारा जमा की गई फर्जी बैंक गारंटी के कारण एसईसीआई को 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। इससे पहले 11 अक्टूबर, 2025 को, ईडी ने रिलायंस पावर लिमिटेड के तत्कालीन मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अशोक कुमार पाल को भी इसी साजिश में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी उनके सहयोगी पार्थ सारथी बिस्वाल- जो शेल कंपनी मेसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशककी गिरफ्तारी के बाद हुई थी।
फर्जी ईमेल डोमेन के ज़रिए बैंक दस्तावेज़ों में हेराफेरी
ईडी की फोरेंसिक जांच से खुलासा हुआ कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नाम से कथित तौर पर जाली एंडोर्समेंट एक स्पूफ ईमेल डोमेन (mailto:sbi.17313@s-bi.co.in) के ज़रिए तैयार किए गए थे। इसका उद्देश्य एसईसीआई अधिकारियों को यह विश्वास दिलाना था कि बैंक गारंटी असली हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि इस रैकेट ने कई भारतीय बैंकों की नकल करने वाले स्पूफ डोमेन का नेटवर्क तैयार किया था, जैसे- ‘lndiabank.in’, ‘lndusindbank.in’, ‘pnblndia.in’, ‘psdbank.co.in’, ‘siliguripnb.co.in’, ‘lobbank.co.in’ और ‘unionbankofIndia.co.in’। इन डोमेन में मामूली बदलाव कर इन्हें असली बैंक वेबसाइटों जैसा दिखाया गया और इसी के सहारे करोड़ों रुपये के फर्जी ट्रांजैक्शन किए गए। एजेंसी अब अवैध फंड के फ्लो का पता लगाने, असली लाभार्थियों की पहचान करने और अपराध से अर्जित पैसों से खरीदी गई संपत्तियों का पता लगाने में जुटी है। साथ ही, ईडी इस पूरे घोटाले से जुड़े अन्य व्यक्तियों और कंपनियों की संभावित संलिप्तता की भी जांच कर रही है। यह मामला अब रिलायंस पावर सब्सिडियरी की भूमिका और कॉर्पोरेट वित्तीय जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है, जबकि ईडी इसे अब तक के सबसे जटिल बैंक गारंटी फर्जीवाड़ों में से एक मान रही है।




