
मुंबई। महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एमएनएलयू) परियोजना की स्थापना को विधि शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा कानून शिक्षा के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण गवई ने सराहा और कहा कि महाराष्ट्र में न्यायिक बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक है। बुधवार को आयोजित शुभारंभ समारोह में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सम्मानित किया। कार्यक्रम में बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और MNLU के सह-कुलपति न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर, न्यायमूर्ति भारती डांगरे, न्यायमूर्ति संदीप मार्ने, राज्य के महाधिवक्ता वीरेंद्र सराफ, लोक निर्माण मंत्री शिवेंद्रसिंह भोसले, विधि एवं न्याय विभाग की प्रधान सचिव सुवर्णा केवले, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिलीप उके, जनप्रतिनिधि, अधिकारी, संकाय सदस्य और छात्र उपस्थित थे। मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने कहा कि राज्य सरकार ने परियोजना के लिए बहुमूल्य भूमि उपलब्ध कराई है और उन्हें विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उत्कृष्ट मानक स्थापित करेगा। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कानून की शिक्षा केवल पेशा नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है। “वकील समाज के अभियंता हैं जो सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करते हैं,” उन्होंने जोड़ा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र देश का एकमात्र राज्य है जहाँ तीन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हैं। मुंबई विश्वविद्यालय के अंतर्गत बनने वाली इस आधुनिक परियोजना के सभी अनुमोदन पूरे हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि नवी मुंबई में विकसित होने वाला ‘एज्यु-सिटी’ दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा, “आज उद्योग, व्यवसाय, सामाजिक जीवन और राजनीति शिक्षा से घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं। मानव संसाधन अब सबसे मूल्यवान पूंजी है। पहले पूंजी मानव के पास जाती थी, अब मानव पूंजी के पास जाती है। इसलिए महाराष्ट्र में सर्वोत्तम मानव संसाधन तैयार किए जा रहे हैं। बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर ने कहा, “विधि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा देने का केंद्र नहीं है, बल्कि अच्छे नागरिक तैयार करने का केंद्र है। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि जीवन में उत्कृष्टता और मानवीय मूल्यों का विकास करना है। एक अच्छा विद्यार्थी, शिक्षक या नागरिक वही बन सकता है जो पहले एक अच्छा इंसान हो। कार्यक्रम का स्वागत भाषण और परिचय कुलपति प्रो. दिलीप उके ने दिया, जबकि आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रकाश चौधरी ने किया।



