
मुंबई। विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत ने 177 करोड़ रुपये के टोरेस घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में तीन यूक्रेनी नागरिकों सहित चार लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं।
पीएमएलए मामलों के विशेष न्यायाधीश आर बी रोटे ने एक नवंबर को अपने आदेश में कहा कि यह एक गंभीर आर्थिक अपराध है जो समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अदालत को बताया गया कि आरोपी लंबे समय से फरार हैं और उनके ठिकाने का कोई पता नहीं चल पाया है। ईडी ने जिन आरोपियों के खिलाफ वारंट की मांग की, उनमें ओलेक्सांद्र जैपिचेंको उर्फ एलेक्स, ओलेना स्टोइयन और विक्टोरिया कोवलेंको (सभी यूक्रेनी नागरिक) शामिल हैं। विक्टोरिया कोवलेंको मेसर्स प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक हैं और कंपनी में 99.95 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती हैं। एजेंसी के अनुसार, ये तीनों कंपनी के धन शोधन कार्यों के मुख्य वास्तुकार थे। इसके अलावा, अंधेरी निवासी सागर मेहता के खिलाफ भी गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है। ईडी ने अदालत को बताया कि मेहता घोटाले में शामिल पाया गया है, लेकिन वह 24 दिसंबर 2024 को देश छोड़कर फरार हो गया और उसके दुबई में छिपे होने का संदेह है। एजेंसी ने बताया कि अदालत द्वारा जारी समन आरोपियों के अंतिम ज्ञात पतों पर चिपकाए गए थे, लेकिन उनमें से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। ईडी ने तर्क दिया कि सभी आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और धन शोधन जैसे गंभीर आर्थिक अपराध में गिरफ्तारी से बच रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाना आवश्यक है। अदालत ने ईडी की दलील से सहमति जताते हुए कहा, “रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि आरोपी गिरफ्तारी से बच रहे हैं। उन पर 177 करोड़ रुपये की आपराधिक आय से जुड़े धन शोधन के गंभीर आरोप हैं, जिनकी वजह से हजारों निवेशकों को नुकसान हुआ है। चूंकि यह गंभीर गैर-जमानती अपराध है, इसलिए आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाता है।



