
सतारा। सतारा ज़िले के फलटण उप-जिला अस्पताल में गुरुवार रात एक महिला डॉक्टर, संपदा मुंडे, ने संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली। इस घटना ने उस समय गंभीर मोड़ ले लिया, जब डॉक्टर के हाथ पर पेन से लिखा एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें दो पुलिस अधिकारियों पर यौन शोषण और मानसिक उत्पीड़न के संगीन आरोप लगाए गए हैं। सुसाइड नोट में डॉक्टर ने दावा किया है कि पुलिस सब इंस्पेक्टर गोपाल बदने ने उनके साथ चार बार बलात्कार किया, जबकि पुलिसकर्मी प्रशांत बनकर द्वारा मानसिक प्रताड़ना की गई। बताया जा रहा है कि पिछले कई महीनों से डॉक्टर और पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग के बीच विवाद चल रहा था। मेडिकल जांच के दौरान हुए विवाद के बाद उनसे पूछताछ की जा रही थी। डॉक्टर ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित शिकायत देकर कहा था कि उन्हें उत्पीड़ित किया जा रहा है और कोई कार्रवाई न होने पर वह आत्महत्या करने को मजबूर हो सकती हैं। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस सुबह से ही शिकायत दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी। मामले के गंभीर होते ही मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और इंस्पेक्टर गोपाल बदने को निलंबित कर दिया गया। महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकनकर ने बताया कि प्रशांत बनकर पुलिस में नहीं बल्कि एक इंजीनियर हैं, जो इस मामले में शामिल बताए गए हैं। परिवार ने यह भी दावा किया कि पिछले एक साल से राजनीतिक एवं पुलिस दबाव में उनसे कई मामलों में फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कराने की कोशिश की जा रही थी। जून-जुलाई में भी पीड़िता ने उच्च अधिकारियों को शिकायत दी थी, लेकिन कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया। मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं। सतारा के पालक मंत्री शंभूराज देसाई ने पारदर्शी जांच का आश्वासन देते हुए कहा कि दोषी कोई भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, सांसद सुप्रिया सुले ने इसे “सभ्य महाराष्ट्र के लिए शर्मनाक घटना” बताते हुए आरोपियों को मृत्युदंड देने की मांग की है। डॉक्टर की मौत से स्वास्थ्य कर्मियों एवं स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। पुलिस जांच जारी है और सभी संभावित एंगल की बारीकी से पड़ताल की जा रही है।




