
मुंबई। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने म्हाडा के एक उप अभियंता को अनधिकृत निर्माण पर कार्रवाई न करने के बदले रिश्वत मांगने के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अधिकारी की पहचान रंजीत बालासाहेब चव्हाण (उम्र 50) के रूप में हुई है, जो बांद्रा डिवीजन में उप अभियंता के पद पर कार्यरत था। मिली जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता (62 वर्षीय) के रो हाउस पर म्हाडा द्वारा अनधिकृत निर्माण का नोटिस चिपकाया गया था। इस पर कार्रवाई की धमकी देते हुए आरोपी रंजीत चव्हाण ने शिकायतकर्ता से कहा कि वहाँ पेइंग गेस्ट का व्यवसाय चल रहा है और इस पर कार्रवाई की जा सकती है। कार्रवाई रोकने के बदले आरोपी ने शुरुआत में 4 लाख रुपये की रिश्वत मांगी, जो बाद में बातचीत के बाद 2 लाख रुपये पर तय हुई। शिकायतकर्ता ने रिश्वत देने से इनकार करते हुए एसीबी से संपर्क किया। एसीबी ने जाल बिछाया और 9 अक्टूबर को आरोपी रंजीत चव्हाण को 40,000 रुपये की पहली किस्त लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। म्हाडा के एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा रिश्वतखोरी की यह घटना सामने आने से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। यह सफल ट्रैप कार्रवाई एसीबी की टीम के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संदीप दीवान, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त अनिल घेरडीकर और राजेंद्र सांगले, पुलिस निरीक्षक गणपत परचाके (पर्यवेक्षी अधिकारी) तथा सहायक पुलिस आयुक्त मानसिंह पाटिल (अपराध जांच अधिकारी) के नेतृत्व में की गई।