
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) को लेकर केंद्र और चुनाव आयोग पर तीखे हमले किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने के लिए एक आड़ है। नादिया जिले के दो निवासियों को असम के अधिकारियों से एनआरसी से संबंधित नोटिस मिलने की खबरों का हवाला देते हुए ममता ने सवाल उठाया कि असम सरकार किस अधिकार से बंगाल के नागरिकों को एनआरसी नोटिस भेज रही है और उन्हें ऐसा करने का अधिकार किसने दिया। गुरुवार को नबन्ना स्थित राज्य सचिवालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग एसआईआर के नाम पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य कर रहा है और राज्य के अधिकारियों को धमका रहा है। उन्होंने इस प्रक्रिया को राजनीति से प्रेरित बताते हुए आरोप लगाया कि मतदाता सूची से नाम हटाने और पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करने की कोशिश की जा रही है।
ममता बनर्जी ने कहा कि अभी बंगाल में कोई चुनाव नहीं है, फिर भी आयोग इस तरह का कदम उठा रहा है मानो चुनाव नजदीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के अधिकारी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ गुप्त बैठकें कर रहे हैं और राज्य सरकार को इस प्रक्रिया से बाहर रखा जा रहा है। उन्होंने कोलाघाट में पूर्व मेदिनीपुर, बांकुड़ा और झाड़ग्राम के अधिकारियों के साथ हुई एक बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि बीएलओ को बुलाकर धमकाया क्यों जा रहा है और जिला अधिकारियों पर जल्दबाजी में कार्रवाई करने का दबाव क्यों डाला जा रहा है।
राजनीतिक आरोप और भाजपा पर हमला
ममता ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह केंद्रीय एजेंसियों का ‘राजनीतिक भगवाकरण’ करने और मतदाता सूची में हेराफेरी करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री और बनगांव के सांसद शांतनु ठाकुर पर भी तीखा हमला किया, जिन्होंने हाल ही में दावा किया था कि ‘1.5 करोड़ रोहिंग्याओं के नाम हटा दिए जाएंगे’। ममता ने कहा, “एसआईआर प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई है। एक केंद्रीय मंत्री कैसे तय कर सकता है कि किसे बाहर रखा जाएगा? क्या उन्हें लगता है कि बंगाल इस आदेश को मान लेगा? भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को धोखा दे रही है।




