
चंद्रपुर। मोरवा गाँव के 55 वर्षीय किसान परमेश्वर ईश्वर मेश्राम ने 26 सितंबर को भद्रावती तहसील कार्यालय में ज़हर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। 11 दिनों तक अस्पताल में जीवन-मौत से संघर्ष करने के बाद, 6 अक्टूबर की सुबह 3 बजे उनका निधन हो गया। लेकिन दो दिन बीत जाने के बाद भी परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया है। परिवार ने इस आत्महत्या के लिए सांसद स्व. बालू धानोरकर की पत्नी प्रतिभा धानोरकर और उनके पति अनिल धानोरकर को जिम्मेदार ठहराया है। परिवार का आरोप है कि स्व. बालू धानोरकर के साथ ज़मीन के सौदे में धोखाधड़ी हुई थी। अदालत से मामला जीतने के बावजूद भी, धानोरकर परिवार के दबाव में ज़मीन का हस्तांतरण मेश्राम परिवार के नाम पर नहीं किया गया। रिश्तेदारों ने मांग की है कि अदालत के आदेश के अनुसार उत्तराधिकारियों का नाम ग्राम नमूना सातबार में दर्ज किया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, अन्यथा वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। जानकारी के अनुसार, अदालत ने स्पष्ट आदेश दिया था कि मेश्राम और उनके उत्तराधिकारियों के नाम ज़मीन के दस्तावेज़ों में दर्ज किए जाएँ। लेकिन राजस्व विभाग ने मालिकाना हक के विवाद का हवाला देकर आदेश का पालन नहीं किया। इस लंबे विलंब और न्याय की अनदेखी से मेश्राम मानसिक रूप से टूट गए थे, जिसके चलते उन्होंने तहसील कार्यालय में जहर खा लिया।
घटना के बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए तहसीलदार राजेश भंडारकर और नायब तहसीलदार सुधीर खंड्रे को तत्काल निलंबित कर दिया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि दोनों अधिकारियों ने 1966 के राजस्व अधिनियम और 1979 के सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन किया था। इस घटना ने पूरे जिले में आक्रोश फैला दिया है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि केवल निलंबन पर्याप्त नहीं है, बल्कि हत्या का मामला दर्ज कर दोषी अधिकारियों की गिरफ्तारी की जाए। घटना उस समय हुई जब राजस्व विभाग “सेवा सप्ताह” चला रहा था, जिसमें नागरिकों को त्वरित सेवा का वादा किया गया था। ग्रामीणों और किसान संगठनों ने इस त्रासदी को प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम बताया है। उन्होंने घोषणा की है कि जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलता और दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। पुलिस निरीक्षक योगेश्वर पारधी ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद मामले की विस्तृत जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मोरवा गाँव में इस घटना से गहरा शोक और रोष व्याप्त है।




