Tuesday, October 14, 2025
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अनिल देशमुख पर पथराव हमला मामला11 महीने की जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में कहा ‘घटना फर्जी’

नागपुर। पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान एनसीपी (एसपी) नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के प्रचार वाहन पर तालासारी के सावरोली में पथराव की घटना हुई थी, जिसमें कथित रूप से वे घायल हुए थे। इस घटना ने उस समय बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था। घटना 19 नवंबर, 2024 को हुई थी, जब देशमुख अपने बेटे सलिल देशमुख के लिए प्रचार कर रहे थे। आरोप था कि अज्ञात व्यक्तियों ने उनकी गाड़ी पर पत्थर फेंका, जिससे गाड़ी का पिछला शीशा टूट गया और उन्हें चोट आई। इस घटना के बाद मामला विधानसभा में और राजनीतिक बहस में आ गया था। इस घटना की जांच नागपुर ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक हर्ष पोद्दार के नेतृत्व में लगभग 11 महीने चली। जांच में फोरेंसिक विभाग और पुलिस ने व्यापक विश्लेषण किया। उनकी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकला कि पथराव और हमले की घटना फर्जी थी। फोरेंसिक जांच में यह पाया गया कि देशमुख की कार का अगला शीशा प्रबलित (Reinforced) तकनीक का था, जो पत्थर से आसानी से नहीं टूटता। यदि शीशा टूटता, तो उसके नुकीले टुकड़े उनके ऊपर गिरते, जिससे गंभीर चोटें आती, लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट में चोटों के प्रकार से यह मेल नहीं खाता। इसके अतिरिक्त, कथित रूप से पिछली खिड़की से फेंके गए पत्थर के बारे में भी कोई ठोस सबूत नहीं मिला। पुलिस ने अदालत में ‘बी समरी रिपोर्ट’ पेश की, जिसमें स्पष्ट किया गया कि हमले का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला और इसलिए मामले में आगे की जांच बंद कर दी गई। रिपोर्ट में कहा गया कि घटना के दावों में तथ्यात्मक आधार नहीं है और इसे राजनीतिक रंग देने की संभावना है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिल देशमुख ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उनकी गाड़ी पर पत्थरबाजी हुई थी और उन्हें चोट आई थी। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया और इस मामले को दबाने के लिए ‘बी समरी रिपोर्ट’ पेश की जा रही है। उन्होंने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया। भाजपा विधायक परिणय फुके ने इस घटना को पूर्व गृह मंत्री द्वारा सहानुभूति बटोरने के लिए गढ़ी गई “मनगढ़ंत कहानी” बताते हुए कहा कि उस समय कई लोगों ने इस घटना को झूठा कहा था। फुके ने आगे कहा कि पुलिस की फोरेंसिक रिपोर्ट ने भी इसे साबित कर दिया है। इस मामले में पुलिस की रिपोर्ट के बाद राजनीतिक हलचल तेज होने की संभावना है, क्योंकि यह घटना और इसकी निष्कर्ष रिपोर्ट राज्य की राजनीति में नई बहस का कारण बन सकती है।

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