
मुंबई। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (MARD) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने राज्य सरकार द्वारा BHMS डॉक्टरों को एक साल के मॉडर्न फार्माकोलॉजी सर्टिफिकेट कोर्स (CCMP) पूरा करने के बाद महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) में रजिस्ट्रेशन देने के फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। दोनों संगठनों ने एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले से तुरंत दखल देने और इस निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया है। हाल ही में हुई बैठक में MARD और FAIMA प्रतिनिधियों ने सुले के सामने यह चिंता रखी कि CCMP मूल रूप से होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिए शैक्षणिक अपस्किलिंग कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था और इसके तहत एमएमसी में रजिस्ट्रेशन देने का प्रावधान कभी नहीं था। उनका कहना है कि केवल एक साल का ब्रिज कोर्स पूरा करने के बाद होम्योपैथ को एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह रजिस्टर करना मरीजों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।संगठनों ने तर्क दिया कि CCMP उम्मीदवारों को निदान, आपातकालीन चिकित्सा और जटिल मामलों के प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं होता। ऐसे में उन्हें एलोपैथिक पंजीकरण देना पाँच साल के MBBS प्रोग्राम और तीन साल की रेजिडेंसी ट्रेनिंग के बराबर मानना होगा, जो आधुनिक चिकित्सा की गुणवत्ता को कमजोर करेगा। MARD और FAIMA ने यह भी कहा कि सरकार का यह कदम न केवल नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के दिशानिर्देशों के खिलाफ है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के क्रॉस-पैथी पर रोक लगाने वाले फैसलों का भी उल्लंघन करता है। इसके अलावा, यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा का अधिकार) का उल्लंघन कर सकता है। प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि कम प्रशिक्षित चिकित्सकों को एमएमसी में शामिल किया गया, तो इससे महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और जनता का भरोसा भी कम होगा। उन्होंने सुले से इस मुद्दे को संसद में उठाने और नीतिगत स्तर पर सरकार को रोकने का आग्रह किया।
MARD और FAIMA ने कहा कि शैक्षणिक आदान-प्रदान और ज्ञान वृद्धि का स्वागत है, लेकिन छोटे ब्रिज कोर्स के आधार पर गैर-एमबीबीएस डॉक्टरों को एलोपैथिक चिकित्सा में रजिस्ट्रेशन देना खतरनाक और अस्वीकार्य है।




