
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2022 में उपनगरीय मलाड में हुए एक हिट-एंड-रन मामले की ‘बेहद लापरवाह’ जाँच को लेकर मुंबई पुलिस की कड़ी आलोचना की है। इस दुर्घटना में 20 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और गौतम अंखड की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि पुलिस नागरिकों द्वारा अपेक्षित मानकों पर खरी नहीं उतरी और उनकी निष्क्रियता के कारण न्याय में तीन साल की देरी हुई। पीड़ित की माँ, बबीता पवन झा द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने आरोपी ट्रक और उसके चालक को पकड़ने में गंभीर लापरवाही बरती। उनका बेटा 17 अगस्त, 2022 को एक तेज़ रफ़्तार ट्रक से टक्कर के बाद मारा गया था। इसके बावजूद, पुलिस ने अक्टूबर 2023 में “ए समरी” रिपोर्ट दायर कर दी, जिसमें दावा किया गया कि आरोपी का पता नहीं लगाया जा सका। असंतुष्ट होकर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, जिसके बाद मामला फिर से खोला गया। हाईकोर्ट के बार-बार के हस्तक्षेप के बाद ही इस साल अगस्त में आरोपी चालक को गिरफ्तार किया गया और आरोपपत्र दाखिल किया गया। अदालत ने कहा कि अगर समय रहते प्रभावी कार्रवाई की गई होती तो न्याय में देरी नहीं होती।
पीठ ने पुलिस के रवैये को ‘गंभीर रूप से निंदनीय’ बताया और कहा, पुलिस को आरोपी का पता लगाने और आरोपपत्र दाखिल करने में तीन साल लग गए, यह अस्वीकार्य है। जाँच अधिकारी का आचरण चौंकाने वाला और निंदा के योग्य है। अदालत ने पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही और दोषपूर्ण जाँच के लिए विभागीय जाँच शुरू की जाए। साथ ही, अदालत ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई को तेज़ी से आगे बढ़ाए और एक वर्ष के भीतर मुकदमे का निपटारा करे।