
मुंबई। मराठा आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए नए सरकारी आदेश (जीआर) ने ओबीसी समुदाय में असंतोष पैदा कर दिया है। मंत्री छगन भुजबल ने इस आदेश पर नाराज़गी जताते हुए ओबीसी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे जिला कलेक्टरों और तहसीलदारों को ज्ञापन सौंपें और यह सुनिश्चित करें कि ओबीसी आरक्षण प्रभावित न हो। उन्होंने कहा कि यदि इस आदेश से ओबीसी का आरक्षण खतरे में पड़ता है तो वे अदालत का दरवाज़ा खटखटाएँगे। मनोज जरांगे के आंदोलन के बाद सरकार ने हैदराबाद राजपत्र लागू करने का निर्णय लिया था, जिसका ओबीसी नेताओं ने विरोध किया। भुजबल ने कैबिनेट बैठक का बहिष्कार किया और कहा कि राज्य में असमंजस की स्थिति है। कई स्थानों पर ओबीसी कार्यकर्ताओं ने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है। भुजबल ने स्पष्ट किया कि कानूनी विशेषज्ञों, वकीलों और नेताओं से परामर्श के बाद ज़रूरत पड़ने पर चार दिनों के भीतर अदालत जाने का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने और आक्रामक तरीकों को रोकने की अपील की। इस बीच, भाजपा के एमएलसी परिणय फुके ने कहा कि मराठा आरक्षण पर जीआर मंत्रिमंडल की सहमति से जारी किया गया है और इससे ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने दावा किया कि कोई भी ओबीसी नेता इस आदेश से असंतुष्ट नहीं है और अदालत जाने की संभावना नहीं है। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक समिति गठित करने की घोषणा की है, जो मराठा समुदाय के उन लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करेगी, जो अपनी कुनबी विरासत के ऐतिहासिक साक्ष्य प्रस्तुत कर सकेंगे। कुनबी समुदाय को महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में शामिल किया गया है और उन्हें शिक्षा व नौकरियों में आरक्षण का लाभ प्राप्त है।