
सज्जन की सज्जनता उनकी भाषा, भावभंगिमाओं से परखी जा सकती है। एक भी ऐसा उदाहरण और सबूत नहीं मिलता, जिसमें कांग्रेस के किसी नेता अथवा कार्यकर्ता ने बीजेपी नेताओं को कभी गाली दी हो। सच तो यह है कि वोट चोरी के खुलासे के बाद चुनाव आयोग की सारी बातें बकवास ही हैं। गलती को स्वीकार करने वाले महान होते हैं। राहुल गांधी ने बिहार में कहा, पहले हमसे गलतियां हुई हैं, जिस गति से बिहार का विकास होना चाहिए था, नहीं हुआ। क्या बीजेपी के किसी नेता में इतना साहस है कि वह कह सके कि हमारी गलती है? हम देश से किया गया एक भी वादा पूरा नहीं कर पाए। हमने गलती की? यह कहने के लिए 56 इंच का सीना होना जरूरी है। चुनाव आयोग बिना बीजेपी सरकार की सहमति से वोटर लिस्ट से जीवित लोगों के नाम नहीं काट सकता। हर कार्यालय में बीजेपी के विधायक, जिला अध्यक्ष बैठकर नाम कटवाए हैं। कार्यकर्ता लिस्ट देकर बता दिए कि इनके वोट बीजेपी को नहीं मिलते। दूसरा कोई राष्ट्र होता तो अब तक जेल में होते आयुक्त। सच तो यह है कि किसी कांग्रेसी ने पीएम मोदी को मां की गाली नहीं दी। राहुल–तेजस्वी की यात्रा से बीजेपी को बिहार में हारने का डर है। इसीलिए कांग्रेस मंच से राहुल गांधी के बोलने के बाद बीजेपी के ही कार्यकर्ता द्वारा गाली दिलाई गई, जिसकी भगवा गमछा कंधे पर रखे फोटोज सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं। दरअसल मां सिर्फ मां होती है, तेरी–मेरी नहीं। मां के अपमान की शुरुआत खुद पीएम मोदी ने किया था। वह कांग्रेस की कौन सी विधवा है, जिसके खाते में हर महीने पैसे भेजे जाते हैं? क्या ये शब्द प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को शोभा देते हैं? पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड, मंगलसूत्र, भैंस, मुजरा जैसे अपशब्द कोई शालीन व्यक्ति बोल सकता है? यही नहीं, नेहरू से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह तक को भला–बुरा और दोषी कहा गया। बीजेपी के टूलकिट में अमित मालवीय द्वारा नेहरू, इंदिरा, राहुल, सोनिया के खिलाफ क्या–क्या दुर्वचन लिखे बोले गए। नेहरू मुस्लिम, इंदिरा गांधी मुस्लिम जैसे विशेषण बीजेपी को ही शोभा देते हैं। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का अज्ञान लेकर ज्ञानी बने अंधभक्त सारी सीमाएं पार कर जाते हैं। गालीबाज पार्टी के भक्त भी गालीबाज ही होंगे। यहां तक कि पीएम मोदी ट्विटर पर गालीबाजों को फॉलो करते देखे गए हैं। जब किसी पार्टी का मुखिया ही हिंदू–मुस्लिम, हिंदुस्तान–पाकिस्तान, मंदिर–मस्जिद करेगा तो फिर उस दल के मुख्यमंत्री उसी का अनुकरण करके देश में नफरत का जहर ही तो बांटेंगे। खुद केंद्रीय बीजेपी मंत्री अनुराग ठाकुर मंच पर कहते हैं, गोली मारो सालों को। योगी मिट्टी में मिला देने का दावा करते हैं। राहुल गांधी से उनकी जाति पूछने वाले अपनी जाति पर कैसे गर्व कर सकते हैं? असम के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का केस था, वे बीजेपी में शामिल हो गए। जांच खत्म और ईमानदारी का प्रमाणपत्र दे दिया गया
इसी तरह विपक्ष के भ्रष्ट नेताओं को ईडी द्वारा छापे मारकर या जेल की धमकी देकर बीजेपी में शामिल करना और जो नेता बीजेपी में शामिल नहीं हो उसे बेगुनाह कोई सबूत न रहने के बावजूद जेल भेजना कौन सी नैतिकता है? संसद में भ्रष्टाचार के नाम पर तीन बिल लाना यह बताता है कि केजरीवाल द्वारा इस्तीफा न देकर जेल से शासन चलाना बीजेपी को अच्छा नहीं लगा, इसलिए सरकार ऐसे बिल लेकर संसद में आई कि सीबीआई, ईडी द्वारा विपक्षी मुख्यमंत्री–मंत्री को जेल भेजो। तीस दिनों तक जमानत मत लेने दो। पद खो दे तो सरकार पर कब्जा कर लो या विधायकों को खरीद लो। जैसा महाराष्ट्र और इसके पूर्व मध्यप्रदेश में किया जा चुका है। पिछले 11 वर्षों से बीजेपी बांग्लादेशी और रोहिंग्या का शोर मचा रही। कितने रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को उनके देश डिपोर्ट किया गया, जैसे अमेरिका ने हथकड़ी–बेड़ियों में जकड़कर भारतीयों को पटक दिया गया? चुनाव आयोग सवाल पूछता है। हां–ना में उत्तर देना है। चुनाव आयोग से ही नहीं, बीजेपी सरकार और गृहमंत्री अमित शाह से टीएमसी की सांसद मोइत्रा ने पूछा है, बॉर्डर की सुरक्षा केंद्रीय गृह मंत्रालय का काम है। बीएसएफ गृहमंत्री के क्षेत्र में आता है, तो गृहमंत्री को बताना चाहिए कि बिहार में 65 लाख घुसपैठिया बांग्लादेश से भारत में घुसे कैसे? जिनका नाम घुसपैठिया बताकर चुनाव आयोग ने अकेले बिहार में काट दिया। हर राज्य में घुसपैठिया होंगे तो हर राज्य में लाखों जीवित वोटरों को घुसपैठिया बताकर या मृतक बताकर वोटर लिस्ट से नाम काटा जाएगा। तो देश भर में आधे वोटरों के नाम काट दिए जाएंगे। यानी बीजेपी चुनाव आयोग के सहयोग से विपक्षी वोटरों के नाम काट देगी और तीनों कानूनों के द्वारा तीस दिन जेल में किसी भी विपक्षी मुख्यमंत्री को रखा जाकर उसका पद छीन लिया जाएगा। बीजेपी का यह कदम वन नेशन वन इलेक्शन से चलकर वन पार्टी सरकार तक जा पहुंचेगा। सारे विपक्षी झूठे आरोप में जेल। बीजेपी सरकार के लिए रास्ता साफ। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में बादल फटने और भूस्खलन के चलते कई गांव खत्म हो गए। कुछ लोग जो जिंदा बचे हैं, वे लापता हुए अपने को ढूंढ रहे हैं। उनके लिए बीजेपी सरकार ने एक भी पैकेज का ऐलान नहीं किया है। न स्थानीय शासन ने ही अपनी जिम्मेदारी निभाई है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश में सैकड़ों गांव बाढ़ में डूबे हैं। नदियां बांधों के गेट खोलकर पानी छोड़ने के कारण वीरान टापू बन चुके हैं। फसलें डूब गई हैं। किसानों से फसल बीमा के नाम पर कई लाख रुपए लिए गए, लेकिन फसल सुनने का मुआवजा सरकार एक हजार दे रही है। किसान लेने से मना कर दिए हैं। भीख नहीं मांग रहे किसान। फसल बीमा का किस्त दिया है तो फसल की बर्बादी पर कुछ नहीं देते तो चलता, लेकिन फसल बीमा की किश्त तो दे देती सरकार। लेकिन सरकार तो चुनाव में जीतने के लिए जुगाड़ करने में लगी है। नेशनल हाईवे और पुल बह गए हैं। बड़ी नदियां उफान पर हैं, जिनकी धारा किसानों की अमूल्य भूमि कटाव के कारण लील चुकी है।
दूरदृष्टा बीजेपी के शीर्ष नेता और भारत सरकार के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बाढ़ से बचाव के लिए माला नहर परियोजना शुरू की थी। कम से कम बीजेपी सरकार को अपने पूर्व पुरुष की बात मानकर माला नहर परियोजना पूरी करनी चाहिए थी, तो आज बाढ़ की स्थिति इतनी विकराल और डरावनी नहीं होती।