
मुंबई। डोंबिवली से लोकल ट्रेन और फिर बस से यात्रा कर मंत्रालय पहुंचे 82 वर्षीय सदानंद विष्णु करंदीकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 10-10 लाख रुपये के दो चेक सौंपे। उन्होंने 20 लाख रुपये की अपनी जीवनभर की कमाई प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष को समर्पित कर दी। सिंधुदुर्ग जिले के अचरा गांव से संबंध रखने वाले श्री करंदीकर की इस उदारता ने सभी का दिल जीत लिया। एक निजी कंपनी से सेवानिवृत्त करंदीकर और उनकी पत्नी सुमति करंदीकर, जो सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त थीं, दोनों नेरुल स्थित आनंद वृद्धाश्रम में रहते थे। पिछले वर्ष अगस्त में पत्नी सुमति का कैंसर से निधन हो गया। इस दुखद अनुभव और कैंसर रोगियों के परिजनों के संघर्षों को देखते हुए उन्होंने अपनी पत्नी की स्मृति में अपनी संपूर्ण जमा पूंजी समाज को समर्पित करने का निर्णय लिया।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने करंदीकर की इस संवेदनशीलता और उदारता की प्रशंसा करते हुए कृतज्ञतापूर्वक चेक स्वीकार किया। मुख्यमंत्री ने उन्हें समाज के प्रति असाधारण निष्ठा का प्रतीक बताते हुए नमन किया। करंदीकर वर्तमान में अपनी बहन प्रभा श्रीराम शितुत के साथ रहते हैं। अध्यात्म और कृषि में रुचि रखने वाले इस बुजुर्ग ने न तो कोई अपेक्षा जताई, न ही कोई प्रचार की चाह रखी। सिंधुदुर्ग के इस सपूत ने यह साबित कर दिया कि समाज के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए केवल धन नहीं, बल्कि सच्चा दिल चाहिए। उनकी इस नि:स्वार्थ भावना ने समाज में मानवीयता और सेवा भावना की मिसाल पेश की है।