
मुंबई। महाराष्ट्र के मंत्री नितीश राणे ने सोमवार को ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ नामक एक नई पहल की शुरुआत की, जिसके तहत झटका मटन की दुकानों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इस पहल का उद्देश्य हिंदू समुदाय को शुद्ध और बिना मिलावट वाला मटन उपलब्ध कराना है। राणे ने घोषणा की कि ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ केवल हिंदू समुदाय को दिया जाएगा और इस सर्टिफिकेशन से प्रमाणित दुकानों पर सिर्फ हिंदू व्यापारी ही मटन बेचेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा-आज हमने महाराष्ट्र में हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ के माध्यम से हमें अपने हक़ की मटन दुकानों तक पहुँच मिलेगी, जहाँ 100 प्रतिशत हिंदू समुदाय होगा और बेचने वाला भी हिंदू होगा। मटन में किसी भी तरह की मिलावट नहीं मिलेगी।
झटका बनाम हलाल मांस: क्या है अंतर?
झटका मांस वह होता है जिसमें जानवर को एक ही वार में मार दिया जाता है, जिससे उसे कम से कम दर्द हो। इसके विपरीत, हलाल मांस इस्लामी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वध की एक प्रक्रिया है, जिसमें जानवर का गला धीरे-धीरे काटा जाता है और उसका खून पूरी तरह बह जाने दिया जाता है।
‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ की जरूरत क्यों?
नितीश राणे के अनुसार, यह पहल हिंदू व्यापारियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी और उपभोक्ताओं को विश्वसनीय और सुरक्षित मटन उपलब्ध कराएगी। उन्होंने हिंदू समुदाय से आग्रह किया कि वे सिर्फ उन्हीं दुकानों से मटन खरीदें, जिनके पास ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ है।
राजनीतिक विवाद की संभावना
यह पहल भारत में मौजूद ‘हलाल प्रमाणन’ के समान मानी जा रही है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक विवाद की संभावना बढ़ सकती है। विपक्षी दल इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश बता सकते हैं, जबकि भाजपा और हिंदू संगठनों के समर्थक इसे आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा से जोड़ सकते हैं।
मल्हार सर्टिफिकेशन की आधिकारिक वेबसाइट malharcertification.com भी लॉन्च की गई है, जहाँ व्यापारी और उपभोक्ता इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।