
मुंबई। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आज़मी के औरंगज़ेब पर दिए बयान को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने आज़मी के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी ने आरोप लगाया कि आज़मी ने अपने बयान में छत्रपति संभाजी महाराज का अपमान किया है और औरंगज़ेब की प्रशंसा कर राष्ट्रविरोधी कार्य किया है। शिवसेना (शिंदे गुट) ने आज़मी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की और विधानसभा से उनके निलंबन की अपील की।
आज़मी का बचाव – ‘बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया’
सपा विधायक अबू आसिम आज़मी ने अपने बचाव में कहा कि उनके बयान को महायुति के नेताओं ने गलत तरीके से पेश किया है। उन्होंने स्पष्ट किया, “मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। मैंने केवल वही कहा जो इतिहासकारों और लेखकों ने औरंगज़ेब के बारे में लिखा है। मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज या किसी अन्य महापुरुष के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है। लेकिन फिर भी, यदि किसी को मेरे बयान से ठेस पहुंची है, तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए एक वीडियो में आज़मी ने कहा कि इस विवाद को राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है, जिससे महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र प्रभावित हो रहा है और यह राज्य की जनता के हित में नहीं है।
डिप्टी सीएम शिंदे ने बताया ‘अपमानजनक’
महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने आज़मी की आलोचना करते हुए उनके बयान को ‘अपमानजनक’ बताया और उनसे माफी की मांग की। शिंदे ने छत्रपति संभाजी महाराज के प्रति औरंगज़ेब की क्रूरता को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे बयान ‘राष्ट्रविरोधी’ हैं और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
तारिक अनवर ने बताया ‘व्यर्थ बहस’
इस विवाद पर कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह गैर-जरूरी मुद्दा है और इसे बेवजह उछाला जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह एक व्यर्थ बहस है। चंगेज खान और उसके वंशज 400 साल पहले आए थे और उनके कार्यों का पूरा ब्यौरा इतिहास के पन्नों में दर्ज है। हमें इस पर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।
आज़मी ने वापस लिया बयान
विवाद बढ़ता देख अबू आसिम आज़मी ने अपने बयान को वापस लेने की घोषणा की और विधानसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की अपील की। उन्होंने कहा, “जब मैं कल विधानसभा से बाहर आया, तो प्रेस ने मुझसे असम के मुख्यमंत्री के उस बयान के बारे में पूछा जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की तुलना औरंगज़ेब से की थी। मैंने केवल वही कहा जो इतिहासकारों ने लिखा है। उनकी किताबों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। मैंने वही दोहराया। उन्होंने आगे कहा, मैं छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, डॉ. बी.आर. अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, राजश्री शाहूजी महाराज के खिलाफ अपमानजनक शब्दों की कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन प्रशांत कोरटकर, राहुल सोलापुरकर ने भी इसी विषय पर बयान दिए हैं, उनके पास सुरक्षा है, फिर मेरे बयान पर इतना हंगामा क्यों? अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं।
‘मामला यहीं खत्म होना चाहिए’ – आज़मी
उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा की कार्यवाही बाधित करना महाराष्ट्र की जनता के साथ अन्याय होगा। उन्होंने दोहराया, “मैं अपना बयान वापस लेता हूं। मैं चाहता हूं कि इस मामले को यहीं समाप्त किया जाए।
अब देखना यह होगा कि अबू आसिम आज़मी का बयान वापस लेने के बाद भी यह मुद्दा राजनीतिक रूप से कितना गरमाता है और क्या शिवसेना (शिंदे गुट) उनके खिलाफ कोई और सख्त कार्रवाई की मांग करती है।