
विश्वगुरु नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ अमेरिकी में डॉनल्ड ट्रंप के लिए नारे लगाए थे वह भी अप्रवासी भारतीयों के सामने, “अब की बार मोदी सरकार”। मोदी का यह नारा सीधे-सीधे अमेरिकी चुनाव में गैरसंवैधानिक माना जाएगा लेकिन मजाल कि गोदी मीडिया जिसे अंतरराष्ट्रीय नियमों कानूनों का पता जरूर होगा, भारत लौटने पर किसी भी पत्रकार ने अमेरिकी राजनीति में दखलंदाज़ी के लिए एक भी सवाल नहीं किए बल्कि गुणगान करते हुए मोदी को ट्रंप का घनिष्ठ मित्र बताते हुए कहा “हमारे प्रधानमंत्री का विश्व में डंका बजता है”। दुनिया के अकेले प्रधानमंत्री हैं मोदी जो ट्रंप के कंधे पर हाथ रख सकते हैं। किंतु जब ट्रंप ने मोदी को अपने शपथग्रहण समारोह में निमंत्रण देने के काबिल नहीं समझा तो गोदी मीडिया की एक परी अमेरिका की सड़क पर बोलने लगी— “भीड़ अधिक थी। ट्रंप भीड़ में मोदी से अकेले नहीं मिल सकते, इसलिए बाद में ट्रंप मोदी को आमंत्रित कर विशेष रूप से अनोखा स्वागत करेंगे।
लेकिन जब अमेरिका में अवैध ढंग से रहने वाले भारतीयों ही नहीं, बल्कि विश्व के सभी लोगों को उनके देश वापस भेजने की घोषणा की तब चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे राष्ट्रों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मोदी ने बड़े गर्व से कहा कि “हम आपको अवैध ढंग से रह रहे भारतीयों को अमेरिका से बाहर निकालने में पूरा सहयोग करेंगे”। 104 भारतीय, जो अमेरिका जाकर अपने सपनों में रंग भरने की आस में समुद्री जहाज से एक महीने चलकर कष्ट झेलते हुए मैक्सिको या कनाडा से सीमा पार कर अमेरिका में घुसे और भविष्य निर्माण में जुट गए, उन्हें पता नहीं था कि किसी दिन अमेरिका उन्हें उनकी पत्नी और बच्चों के हाथों में हथकड़ियों और पैरों में बेड़ियां डालकर अपमानजनक तरीके से भारत भेजेगा- वह भी अमेरिकी युद्धक हवाई जहाज में।
हाथों में हथकड़ी, पैरों में बेड़ियां डालकर हत्या करने वाले खूंखार अपराधियों को जब अमेरिका में हवाई जहाज में बेइज्जत कर बिठाया गया होगा और अठारह घंटे की यात्रा के समय वे कितनी बड़ी मानसिक त्रासदी से गुजर रहे होंगे, इसका अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। यह अनुभूति तो भुक्तभोगी या फिर संवेदनशील मनुष्य को ही हो सकती थी। प्लेन जब पंजाब के अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा होगा, तब उनकी आँखें लज्जा के मारे झुकी रही होंगी और उन आंखों से निरंतर आंसू झर रहे होंगे। कितना दुखद रहा होगा वह विभत्स दृश्य जिसे देखकर हवाई अड्डे पर रहे आम भारतीयों के सिर ग्लानि से झुक गए होंगे। अमेरिका से हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़े भारतीयों को देखकर सबकी आंखें छलछला उठी होंगी। बड़े बराबरू करके निकाले गए 205 भारतीय अमेरिका से। हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां- केवल फोटो देखकर रोना आ जाए, ऐसा मर्माहत, अपमानजनक दृश्य। लेकिन देश के प्रधानमंत्री मोदी को उनकी चिंता नहीं। अपमान का अफसोस नहीं। हमेशा चुनाव के मूड में रहने वाले मोदी जब जब कोई चुनाव होता है, चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन ही नहीं बल्कि उसका मजाक उड़ाते हुए, पांच कैमरा मैन लेकर किसी गुफा या मंदिर में ध्यान या पूजा का ढकोसला कर खुद को धार्मिक होने का दिखावा करते रहते हैं। उस समय भी जब दिल्ली में मतदान हो रहे थे, अमेरिका से 200 के ऊपर भारतीयों को हथकड़ी-बेड़ियों में जकड़े भारत भेजा जाता है और मोदी रेन कोट पहनकर प्रयागराज संगम में फोटो सेशन करने पहुंच गए। सच तो यह है कि मोदी को केवल और केवल सत्ता प्रिय है। उन्हें अडानी-अंबानी की संपत्ति बढ़ाने की चिंता है। 140 करोड़ भारतीयों की परेशानियों, भूखमरी, गरीबी, अशिक्षा, किसानों की आत्महत्या से कोई लेना-देना नहीं है। मनमोहन सरकार के समय एक भारतीय महिला की जामा तलाशी ली गई थी अमेरिका में। मनमोहन सिंह ने राजनीतिक संबंध तोड़ने की धमकी दे डाली और विदेश मंत्री ने अमेरिकी राजदूत को तलब कर खरी-खोटी सुना डाली, जिस पर अमेरिका ने खुलेआम माफी मांग ली। आज स्थिति यह है कि मोदी, प्रधानमंत्री होकर विरोध या प्रतिक्रिया जताने के स्थान पर ट्रंप को सहयोग करने का वादा करते हैं। संगम में फोटो सेशन कराते समय वहां तीन जगह भगदड़ में हजारों श्रद्धालुओं के मारे जाने का न तो खेद जताया और न ही श्रद्धांजलि दी। क्या इसी बूते अपने आपको विश्वगुरू कहने के अधिकारी हो गए? देश की जनता शर्मसार और दुखी है- प्रयागराज में मरने वालों और अमेरिका से बेइज्जत कर भारत भेजे जाने वाले सैकड़ों नागरिकों के अपमान से क्रोधित भी हैं। लेकिन “विश्वगुरू” को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।